tag:blogger.com,1999:blog-5591617615187263525.post3291428365617170348..comments2023-09-26T14:31:38.797+05:30Comments on बाल-उद्यान: बन्दर मामा और चुनावगिरिराज जोशीhttp://www.blogger.com/profile/13316021987438126843noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-5591617615187263525.post-12752255367523016932009-04-23T21:22:00.000+05:302009-04-23T21:22:00.000+05:30अरे बाप रे! यहाँ तो बन्दर मामा पार्टी ही बन गयी......अरे बाप रे! यहाँ तो बन्दर मामा पार्टी ही बन गयी...न जाने कितनी सीटें जीत ले अगले चुनाव में...Divya Narmadahttps://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5591617615187263525.post-19774630135722357812009-04-02T15:48:00.000+05:302009-04-02T15:48:00.000+05:30इस तरह की कविताएँ बच्चों को खूब भाती हैं। सीमा जी ...इस तरह की कविताएँ बच्चों को खूब भाती हैं। सीमा जी की तरह मैं भी फरमाइश कर देता हूँ।शैलेश भारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5591617615187263525.post-40230885023955683322009-04-02T14:12:00.000+05:302009-04-02T14:12:00.000+05:30बंदर मामा की कविताएं तो मुझे आज भी बहुत प्रिय हैं ...बंदर मामा की कविताएं तो मुझे आज भी बहुत प्रिय हैं | ऐसी ही एक कविता याद आ रही है .........<BR/><BR/>1.बंदर मामा पहन पजामा , दावत खाने आए <BR/>ढीला कुर्ता टोपी जूता , पहन बहुत इतराए <BR/>रसगुल्ले पर जी ललचाया , मुँह मे रखा गप से <BR/>नरम नरम था गरम गरम था , जीभ जल गई लप से <BR/>बंदर मामा रोते रोते , वापस घर को आए <BR/>फैंकी टोपी फैंका जूता , रोएं और पछताएं <BR/><BR/>अरे यह लो एक और कविता याद आ गई , वो भी सुना ही देती हूँ <BR/><BR/>2.बंदर मामा पहन पजामा निकले बडी शान से <BR/>हाथ मे ड्ण्डा सिर पर हण्डा , गाना गाते तान से <BR/>बींच सडक पर ऐसे चलते , सब देखें हैरान से <BR/>छूटा ड्ण्डा गिर ह्ण्डा , मामा गिरे धडाम से <BR/><BR/>********************************<BR/><BR/>मजेदार कविता | आपकी पहले भी एक कविता आई थी बाल-उद्यान पर मुर्गा-मुर्गी की कविता |<BR/>अभी तक वो दिमाग मे घूम रही है | कृपया ऐसी कविताएं जलदी-जलदी भेजा कीजिए |सीमा सचदेवhttps://www.blogger.com/profile/04082447894548336370noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5591617615187263525.post-18035543451648262442009-04-02T11:17:00.000+05:302009-04-02T11:17:00.000+05:30मनोरंजक कविता।-----------तस्लीम साइंस ब्लॉगर्स ...मनोरंजक कविता।<BR/><BR/>-----------<BR/><A HREF="http://tasliim.blogspot.com/" REL="nofollow">तस्लीम </A> <BR/><A HREF="http://sciblogindia.blogspot.com/" REL="nofollow">साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन</A>adminhttps://www.blogger.com/profile/09054511264112719402noreply@blogger.com