tag:blogger.com,1999:blog-5591617615187263525.post5440851722626846969..comments2023-09-26T14:31:38.797+05:30Comments on बाल-उद्यान: माँ की ममतागिरिराज जोशीhttp://www.blogger.com/profile/13316021987438126843noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-5591617615187263525.post-48139501255394639122007-12-12T14:42:00.000+05:302007-12-12T14:42:00.000+05:30तन्हा जी,आपके छोटे भाई भी आपकी तरह ही प्रतिभाशाली ...तन्हा जी,<BR/><BR/>आपके छोटे भाई भी आपकी तरह ही प्रतिभाशाली हैं..सुन्दर भावभरी प्यारी प्यारी कविता लिखी है.. उन्हे प्रोत्साहित करते रहें.. यह आगे चल कर जरूर कुछ कर गुजरेंगे... ऐसा इनकी कलम बतलाती हैMohinder56https://www.blogger.com/profile/02273041828671240448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5591617615187263525.post-50055423989585537342007-12-10T13:15:00.000+05:302007-12-10T13:15:00.000+05:30एक अच्छी रचना विश्व मोहन .११ - १२ साल के बच्चे की ...एक अच्छी रचना विश्व मोहन .<BR/>११ - १२ साल के बच्चे की कलम से निकली इस कविता को पढने के बाद और भी बच्चे कुछ न कुछ लिखने को प्रेरित होंगे ऐसा मैं सोचती हूँ-<BR/>इस बाल कवि से परिचय कराने के लिए आप का धन्यवाद-Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5591617615187263525.post-47050797829130569702007-12-10T12:47:00.000+05:302007-12-10T12:47:00.000+05:30इतनी छोटी उम्र और इतनी अच्छी सोच...बहुत अच्छा लगाइतनी छोटी उम्र और इतनी अच्छी सोच...<BR/><BR/>बहुत अच्छा लगाअभिषेक सागरhttps://www.blogger.com/profile/02262214864547622776noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5591617615187263525.post-9445507102199507462007-12-10T10:37:00.000+05:302007-12-10T10:37:00.000+05:30"होनहार बिरवान के होत चीकने पात" कहावत सुनी है न आ..."होनहार बिरवान के होत चीकने पात" कहावत सुनी है न आपने! यह आप पर भी लागू होती है. बहुत सुंदर कविता लिखी है आपने! बधाई!SahityaShilpihttps://www.blogger.com/profile/12784365227441414723noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5591617615187263525.post-16318125689101471552007-12-07T17:30:00.000+05:302007-12-07T17:30:00.000+05:30बिल्कुल सटीक कहा आपने रंजू जी, प्यारे बाबू विश्वम...बिल्कुल सटीक कहा आपने रंजू जी,<BR/> प्यारे बाबू विश्वमोहन जी आपने बहुत प्यारी कविता लिख डाली,लगता है आपने अपने ही बड़े भाई साहब से प्रतियोगिता कर रखी हो.बहुत अच्छे.<BR/> ढेरों आशाओं और आशीर्वाद समेत आपके भइया-<BR/> अलोक सिंह "साहिल'Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5591617615187263525.post-33151436167373078772007-12-07T13:04:00.000+05:302007-12-07T13:04:00.000+05:30वाह ......तुम्हारी कविता तो भईया से भी ज्यादा अच्छ...वाह ......तुम्हारी कविता तो भईया से भी ज्यादा अच्छी है। इसी तरह नित नई कविता लिखओ और साथ में हमें भी पढाऔ। ढेर सारी शुभकामनायेंanuradha srivastavhttps://www.blogger.com/profile/15152294502770313523noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5591617615187263525.post-23752987520207186282007-12-07T12:18:00.000+05:302007-12-07T12:18:00.000+05:30वाह बड़े मियां तो बड़े मियां छोटे मियां सुभान अला...वाह बड़े मियां तो बड़े मियां छोटे मियां सुभान अलाह :) बहुत सुंदर लगी आपकी कविता "विश्व मोहनजी <BR/>लिखते रहे ,अपने बड़े भइया से कम नही हैं आप ..:)रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.com