tag:blogger.com,1999:blog-5591617615187263525.post6154937487614539816..comments2023-09-26T14:31:38.797+05:30Comments on बाल-उद्यान: चाँद पे होता घर जो मेरागिरिराज जोशीhttp://www.blogger.com/profile/13316021987438126843noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-5591617615187263525.post-54722770725181747892008-03-10T17:22:00.000+05:302008-03-10T17:22:00.000+05:30सीमा जी आपकी कविता बच्चो का बहुत मन बेह्लाएगी बहुत...सीमा जी आपकी कविता बच्चो का बहुत मन बेह्लाएगी <BR/>बहुत अच्छे <BR/>बादल से मैं पानी पीती<BR/>तारों के संग भोजन करती<BR/>टिमटिमाटे सुंदर तारे<BR/>लगते कितने प्यारे-प्यारेanjuhttps://www.blogger.com/profile/05253751080116301279noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5591617615187263525.post-76831987725054576762008-03-07T22:06:00.000+05:302008-03-07T22:06:00.000+05:30सीमा जी कीधरती पर से लोग जो जातेजो मुझसे वह मिलने ...सीमा जी की<BR/><BR/>धरती पर से लोग जो जाते<BR/>जो मुझसे वह मिलने आते<BR/>चाँद नगर की सैर कराती<BR/>उनको अपने घर ले जाती<BR/><BR/>उपरोक्त पंक्तियाँ <BR/>एवं<BR/>राघव जी की निम्न पंक्तियाँ <BR/><BR/>अगर किसी ने मना किया तो<BR/>मैं भी गुस्सा हो जाउँगा<BR/>किसी को भी नहीं जाने दुँगा<BR/>और चाँद तोड़्कर ले आऊँगा..<BR/><BR/>मुझे बेहद पसंद आईं।<BR/><BR/>दोनों को बधाई।<BR/><BR/>-विश्व दीपक ’तन्हा’विश्व दीपकhttps://www.blogger.com/profile/10276082553907088514noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5591617615187263525.post-35018916486737858722008-03-04T15:23:00.000+05:302008-03-04T15:23:00.000+05:30जाकिर जी,सीमा जी,कवि कुलवन्त,साहिल ,भुपेन्द्र ,अल्...जाकिर जी,सीमा जी,कवि कुलवन्त,साहिल ,भुपेन्द्र ,अल्पना ,रञ्जू जी आप सबको कविता पसन्द आई ,जानकर अच्छा लगा ,आप्की सुन्दर तिप्पणी के लिए धन्यवाद |भुपेन्द्र जी आपकी पन्क्तियाँ बहुत अच्छी लगी...धनयवाद.....सीमाseema sachdevahttps://www.blogger.com/profile/15533434551981989302noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5591617615187263525.post-81894754164736066022008-03-04T12:25:00.000+05:302008-03-04T12:25:00.000+05:30बहुत सुंदर कविता है यह ..चाँद पर घर की बात ही बहु...बहुत सुंदर कविता है यह ..चाँद पर घर की बात ही बहुत अच्छी लगती है :)रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5591617615187263525.post-23392166325789548342008-03-04T10:32:00.000+05:302008-03-04T10:32:00.000+05:30चाँद पे होता घर जो मेरारोज़ लगाती मैं दुनिया का फे...चाँद पे होता घर जो मेरा<BR/>रोज़ लगाती मैं दुनिया का फेरा<BR/>चंदा मामा के संग हँसती<BR/>आसमान में ख़ूब मचलती'<BR/>वाह जी वाह सीमा जी !लगता है आपने मेरे मन की बात कह दी....मैं भी सोचती हूँ कि काश चाँद पर घर होता! बहुत ही प्यारी कविता --इस में तो बडों के भीतर के बच्चे को जगाने की क्षमता है!और हाँ भूपेंदर जी की टिप्पणी में लिखी कविता भी बहुत मजेदार है.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5591617615187263525.post-69888621402095677652008-03-03T15:00:00.000+05:302008-03-03T15:00:00.000+05:30हा हा हा बहुत सुन्दर कविताचलो चाँद पर दिल छोटा क्य...हा हा हा बहुत सुन्दर कविता<BR/>चलो चाँद पर दिल छोटा क्यू करते हो आप..<BR/><BR/><BR/>चलो चाँद पर प्लाट कटे हैं<BR/>धरती वालों को भी बँटे हैं<BR/>मैने कुछ बुक करवाये हैं<BR/>नीव वगेराह भर आये हैं<BR/>कल जाकर रोड़ी लानी हैं<BR/>सीमेंट भी कुछ मँगवानी है<BR/>सबके लिये घर बनवऊँगा<BR/>तुम सबको वहीं बुलवाऊँगा<BR/>काश वाश नही मुझको सुनना<BR/>सपनों की चादर नहीं बुनना<BR/>सच में सबको ले जाना है<BR/>ये दिल मे मैने ठाना है<BR/>हो जाओ तैयार, चलेंगे<BR/>चाँद पर जाकर सब उछ्लेंगे.<BR/>अगर किसी ने मना किया तो<BR/>मैं भी गुस्सा हो जाउँगा<BR/>किसी को भी नहीं जाने दुँगा<BR/>और चाँद तोड़्कर ले आऊँगा..भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghavhttps://www.blogger.com/profile/05953840849591448912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5591617615187263525.post-71857411032565443512008-03-03T12:30:00.000+05:302008-03-03T12:30:00.000+05:30बहुत अच्छे,सचदेव जी आलोक सिंह "साहिल"बहुत अच्छे,सचदेव जी <BR/> आलोक सिंह "साहिल"Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5591617615187263525.post-28758121108150108412008-03-03T11:12:00.000+05:302008-03-03T11:12:00.000+05:30अति सुंदर..अति सुंदर..Kavi Kulwanthttps://www.blogger.com/profile/03020723394840747195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5591617615187263525.post-81717650695195182192008-03-03T11:04:00.000+05:302008-03-03T11:04:00.000+05:30चाँद पे होता घर जो मेरारोज़ लगाती मैं दुनिया का फे...चाँद पे होता घर जो मेरा<BR/>रोज़ लगाती मैं दुनिया का फेरा<BR/>चंदा मामा के संग हँसती<BR/>आसमान में ख़ूब मचलती<BR/>"वाह वाह आप की कवीता ने टू एक सुंदर सपना जगा दिया हमारी भी आँखों मे, काश .......... पर ये काश , काश ही रह जाता है.... " बहुत सुंदर. <BR/>Regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5591617615187263525.post-33510024941931275702008-03-03T10:52:00.000+05:302008-03-03T10:52:00.000+05:30बहुत सुन्दर विचार है। आपकी कविता पढकर मेरे मन में ...बहुत सुन्दर विचार है। आपकी कविता पढकर मेरे मन में भी ख्याल आ रहा है कि काश मेरा भी चाँद पर घर होता। प्यारी की कविता के छोटी सी बधाई।Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.com