बंदर की दुकान (बाल-उपन्यास पद्य/गद्य शैली में) - 8
सातवें भाग से आगे....
8. सुनकर सांप भी दौडा आया
सामने आकर फ़न फ़ैलाया
पहले उसने भरी फुँकार
दे दो मुझको चूहे चार
बदले में ले लो जहर
बेचना उसको जाके शहर
डर गया बंदर मन ही मन
खतरे में जो पड़ गया जीवन
बोला क्षमा करो हे नाग
आए तुम यही उत्तम भाग
कीमत तुझसे मैं न लूंगा
चूहों संग मेंढक भी दूंगा
पर करना होगा इंतजार
खाली है चूहों का जार
खुद ही शहर को जाऊंगा
चूहे लेकर आऊंगा
अब तुम जाकर करो आराम
नहीं लूंगा कुछ तुमसे दाम
8. बंदर की दुकान की चर्चा सुनकर सांप भी आया और अपना फ़न फैला फुँकार कर बोला:-
मुझे अभी चार चूहे दे दो, बदले में मै तुम्हें अपना जहर दे दूंगा। तुम उसे शहर में जाकर बेच देना और पैसे कमा लेना।
सांप को देखकर बंदर तो मन ही मन डर गया। उसे आपनी जान पर खतरा मंडराता दिखा और हाथ जोड कर सांप से बोला:-
हे नाग देवता! मुझे क्षमा करो परन्तु मैं आपसे कोई दाम नहीं लूंगा। आप मेरी दुकान पर आए, यही मेरा सौभाग्य है।
मैं आपको चूहों के संग में मेंढक भी दूंगा पर इसके लिए आपको थोड़ा इन्तजार करना पड़ेगा क्योंकि चूहों का जार अभी खाली हो चुका है। आपके लिए मैं स्वयं शहर को जाऊँगा और चूहे लाकर आप तक पहुँचा दूँगा। आप जाकर आराम करो, मैं आपसे उसके कोई दाम नहीं लूंगा।
इस तरह से बंदर ने सांप से पीछा छुड़ाया।
नौवाँ भाग
8. सुनकर सांप भी दौडा आया
सामने आकर फ़न फ़ैलाया
पहले उसने भरी फुँकार
दे दो मुझको चूहे चार
बदले में ले लो जहर
बेचना उसको जाके शहर
डर गया बंदर मन ही मन
खतरे में जो पड़ गया जीवन
बोला क्षमा करो हे नाग
आए तुम यही उत्तम भाग
कीमत तुझसे मैं न लूंगा
चूहों संग मेंढक भी दूंगा
पर करना होगा इंतजार
खाली है चूहों का जार
खुद ही शहर को जाऊंगा
चूहे लेकर आऊंगा
अब तुम जाकर करो आराम
नहीं लूंगा कुछ तुमसे दाम
8. बंदर की दुकान की चर्चा सुनकर सांप भी आया और अपना फ़न फैला फुँकार कर बोला:-
मुझे अभी चार चूहे दे दो, बदले में मै तुम्हें अपना जहर दे दूंगा। तुम उसे शहर में जाकर बेच देना और पैसे कमा लेना।
सांप को देखकर बंदर तो मन ही मन डर गया। उसे आपनी जान पर खतरा मंडराता दिखा और हाथ जोड कर सांप से बोला:-
हे नाग देवता! मुझे क्षमा करो परन्तु मैं आपसे कोई दाम नहीं लूंगा। आप मेरी दुकान पर आए, यही मेरा सौभाग्य है।
मैं आपको चूहों के संग में मेंढक भी दूंगा पर इसके लिए आपको थोड़ा इन्तजार करना पड़ेगा क्योंकि चूहों का जार अभी खाली हो चुका है। आपके लिए मैं स्वयं शहर को जाऊँगा और चूहे लाकर आप तक पहुँचा दूँगा। आप जाकर आराम करो, मैं आपसे उसके कोई दाम नहीं लूंगा।
इस तरह से बंदर ने सांप से पीछा छुड़ाया।
नौवाँ भाग
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6 पाठकों का कहना है :
सोच रहा हूँ के अगर मैं भी इस दूकान पर जाऊं तो क्या मांगूंगा,,,,!!!!!
:)
मनु जी इसमे वाली कौन सी बात है , आप टोपी मांगेंगे , और वो मिल भी जाएगी । मैने ठीक कहा न नीलम जी :::::.)))))
आप आईना मागेंगे ,वो वाला बन्दर इनसे कहेगा जनाब हमे ही अपना हमशकल समझिये ,क्योँ सीमा जी ये भी तो हो सकता है ??????
हो हो हो हो हो ओह हो हो हो हसना सेहत के लिए बेहद जरूरी है
भले पिन्हा दे वो मुझको टोपी,
दिखाए आइना कोई शायद,
के
उन में भी बंदरों सी हैं
पर,,,,
ये आदतें कुछ नयी नयी हैं..
सुनकर सांप भी दौडा आया
सामने आकर फ़न फ़ैलाया
पहले उसने भरी फुँकार
दे दो मुझको चूहे चार
बदले में ले लो जहर
बेचना उसको जाके शहर
क्या बात है. लाजवाब.
Bandar ne Musibat se chutkara pa liya. Harry potter ki tarah kahani badhti ja rahi hai.
Badhayi.
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