श्री गुरु ग्रन्थ साहिब
नमस्कार बच्चो ,
आप जानते है कि इन दिनो पावन ग्रन्थ "श्री गुरु ग्रन्थ साहिब " जी के गुरु रूप मे ३०० सौ साल पूरे होने का जश्न पूरे धूम-धाम से मनाया जा रहा है चलो मै आपको सँक्षिप्त मे जानकारी देती हूँ " श्री गुरु ग्रन्थ साहिब" जी के बारे मे...........
आप जानते है कि इन दिनो पावन ग्रन्थ "श्री गुरु ग्रन्थ साहिब " जी के गुरु रूप मे ३०० सौ साल पूरे होने का जश्न पूरे धूम-धाम से मनाया जा रहा है चलो मै आपको सँक्षिप्त मे जानकारी देती हूँ " श्री गुरु ग्रन्थ साहिब" जी के बारे मे...........
" श्री गुरु ग्रन्थ साहिब " जी को ग्यारहवेँ गुरु के रूप मे पूज्य माना जाता है सिक्ख धर्म मे १० गुरु हुए :- (१)श्री गुरु नानक देव जी (२) श्री गुरु अन्गद देव जी (३) श्री गुरु अमर दास जी (४) श्री गुरु राम दास जी (५) श्री गुरु अर्जुन देव जी (६)श्री गुरु हरगोबिन्द जी(७)श्री गुरु हर राय जी(८)श्री गुरु हरकृष्ण जी (९)श्री गुरु तेग बहादुर जी (१०)श्री गुरु गोबिन्द सिँह जी
दशम गुरु "श्री गुरु गोबिन्द "जी ने आगे के अपने शिष्योँ को "श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी " को गुरु रूप मानने का आदेश देते हुए कहा :-
"सब सिक्खन् को हुक्म है
गुरु मानयो ग्रन्थ "
"श्री गुरु गोबिन्द सिँह" जी ने १७०८ ई. मे देह त्यागी और उनके बाद ग्यारहवेँ गुरु के रूप मे "श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी " विराजमान है
"श्री गुरु ग्रन्थ साहिब" मे १२वी से १७वी सदी के मध्य हुए विभिन्न गुरुओ ,सन्तो ,भक्तोँ ,कवियो की वाणी दर्ज है यह सब विभिन्न मतोँ धर्मो और जातियोँ से सम्बन्धित थे
"श्री गुरु ग्रन्थ साहिब" को "आदि ग्रन्थ "भी कहा जाता है आदि का अर्थ है पुरातन और ग्रन्थ का अर्थ है धार्मिक पुस्तक
पाँचवे गुरु "श्री गुरु अर्जुन देव जी" ने १६०४ ई. मे अमृतसर(पन्जाब ) मे" आदि ग्रन्थ" मे सँकलित विभिन्न भक्तोँ ,कवियो ,गुरुओँ ,स्न्तो की वाणी का सँग्रह कर इसका मूल रूप तैयार किया इसका मुख्य उद्देश्य लोगो तक एक ईश्वर का सन्देश पहुँचाना था "श्री गुरु अर्जुन देव" जी की देख-रेख मे इसे "भाई गुरदास" जी द्वारा लिखा गया तथा "भाई बानो" जी द्वारा इसका मूल रूप तैयार किया गया और १६०४ ई. मे इसे "श्री गुरु अर्जुन देव जी" द्वारा इसे
"श्री हरमन्दिर साहिब " अमृतसर मे स्थापित किया गया "बाबा बुड्ढा" जी को पहला ग्रन्थी नियुक्त किया गया
दशम गुरु श्री "गुरु गोबिन्द सिँह" जी द्वारा दोबारा से "भाई मनी सिँह" जी की सहायता से इसका पुन: नव-निर्माण "श्री दमदमा साहिब गुरुद्वारा" मे किया गया तथा इसमे नवम गुरु
श्री गुरु तेग बहादुर जी की वाणी को भी शामिल किया गया 'आदि ग्रन्थ" को "श्री गुरु ग्रन्थ साहिब"का नाम दिया गया गुरु का अर्थ है अध्यापक ग्रन्थ का अर्थ है "धार्मिक पुस्तक " श्री तथा साहिब शब्द इस धार्मिक ग्रन्थ को आदर देने हेतु जोडे गए
इसमे
छ: गुरुओँ:- श्री गुरु नानक देव जी ,गुरु अन्गद देव जी ,गुरु अमर दास जी ,गुरु राम दास जी , गुरु अर्जुन देव जी तथा श्री गुरु तेग बहादुर जी
सत्रह सन्तोँ/भक्तोँ :-कबीर ,फरीद ,नामदेव, बानी ,त्रिलोचन ,जयदेव,सुन्दर ,परमानन्द ,सदना ,रामानन्द ,धन्ना,पीपा ,सैन,सूरदास ,भीखन ,मरदाना
दो कवियोँ:-बलवण्ड तथा सत्ता
तथा
ग्यारह भाटोँ/सिख गुरुओँ के कवियोँ:- मथरा दास , हरबन्स ,जलप ,ताल्या ,साल्या ,भाल , कुलह सहर ,नल ,किरत ,गैयन्द तथा सदरन्ग
की वाणी दर्ज है
इस सबको श्री "गुरु गोबिन्द सिँह "जी ने
"प्रक्ट गुराँ की देह "
कहकर साक्षात गुरु की उपाधि दी
इस पावन अवसर पर सभी हिन्दवासियोँ को हार्दिक बधाई एवम् शुभ-कामनाएँ -SEEMA SACHDEV
दशम गुरु "श्री गुरु गोबिन्द "जी ने आगे के अपने शिष्योँ को "श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी " को गुरु रूप मानने का आदेश देते हुए कहा :-
"सब सिक्खन् को हुक्म है
गुरु मानयो ग्रन्थ "
"श्री गुरु गोबिन्द सिँह" जी ने १७०८ ई. मे देह त्यागी और उनके बाद ग्यारहवेँ गुरु के रूप मे "श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी " विराजमान है
"श्री गुरु ग्रन्थ साहिब" मे १२वी से १७वी सदी के मध्य हुए विभिन्न गुरुओ ,सन्तो ,भक्तोँ ,कवियो की वाणी दर्ज है यह सब विभिन्न मतोँ धर्मो और जातियोँ से सम्बन्धित थे
"श्री गुरु ग्रन्थ साहिब" को "आदि ग्रन्थ "भी कहा जाता है आदि का अर्थ है पुरातन और ग्रन्थ का अर्थ है धार्मिक पुस्तक
पाँचवे गुरु "श्री गुरु अर्जुन देव जी" ने १६०४ ई. मे अमृतसर(पन्जाब ) मे" आदि ग्रन्थ" मे सँकलित विभिन्न भक्तोँ ,कवियो ,गुरुओँ ,स्न्तो की वाणी का सँग्रह कर इसका मूल रूप तैयार किया इसका मुख्य उद्देश्य लोगो तक एक ईश्वर का सन्देश पहुँचाना था "श्री गुरु अर्जुन देव" जी की देख-रेख मे इसे "भाई गुरदास" जी द्वारा लिखा गया तथा "भाई बानो" जी द्वारा इसका मूल रूप तैयार किया गया और १६०४ ई. मे इसे "श्री गुरु अर्जुन देव जी" द्वारा इसे
"श्री हरमन्दिर साहिब " अमृतसर मे स्थापित किया गया "बाबा बुड्ढा" जी को पहला ग्रन्थी नियुक्त किया गया
दशम गुरु श्री "गुरु गोबिन्द सिँह" जी द्वारा दोबारा से "भाई मनी सिँह" जी की सहायता से इसका पुन: नव-निर्माण "श्री दमदमा साहिब गुरुद्वारा" मे किया गया तथा इसमे नवम गुरु
श्री गुरु तेग बहादुर जी की वाणी को भी शामिल किया गया 'आदि ग्रन्थ" को "श्री गुरु ग्रन्थ साहिब"का नाम दिया गया गुरु का अर्थ है अध्यापक ग्रन्थ का अर्थ है "धार्मिक पुस्तक " श्री तथा साहिब शब्द इस धार्मिक ग्रन्थ को आदर देने हेतु जोडे गए
इसमे
छ: गुरुओँ:- श्री गुरु नानक देव जी ,गुरु अन्गद देव जी ,गुरु अमर दास जी ,गुरु राम दास जी , गुरु अर्जुन देव जी तथा श्री गुरु तेग बहादुर जी
सत्रह सन्तोँ/भक्तोँ :-कबीर ,फरीद ,नामदेव, बानी ,त्रिलोचन ,जयदेव,सुन्दर ,परमानन्द ,सदना ,रामानन्द ,धन्ना,पीपा ,सैन,सूरदास ,भीखन ,मरदाना
दो कवियोँ:-बलवण्ड तथा सत्ता
तथा
ग्यारह भाटोँ/सिख गुरुओँ के कवियोँ:- मथरा दास , हरबन्स ,जलप ,ताल्या ,साल्या ,भाल , कुलह सहर ,नल ,किरत ,गैयन्द तथा सदरन्ग
की वाणी दर्ज है
इस सबको श्री "गुरु गोबिन्द सिँह "जी ने
"प्रक्ट गुराँ की देह "
कहकर साक्षात गुरु की उपाधि दी
इस पावन अवसर पर सभी हिन्दवासियोँ को हार्दिक बधाई एवम् शुभ-कामनाएँ -SEEMA SACHDEV
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
6 पाठकों का कहना है :
Jai ho Seema ji ki jai ho..
itna sundar vivaran diya hai...
बहुत अच्छी जाकारी दी आपने. बाछों को यह सब जरुर जान न चाहिए.
संक्षिप्त में बहुत बढ़िया जानकारी। मुझे भी बहुत सी बातें बहुत कम समय में मालूम पड़ गई। शायद शोभा जी कहना चाह रही थीं- 'बच्चों को यह सब जरुर जानना चाहिए'
संक्षेप में बहुत सारी जानकारी समेटे है यह आलेख।
बहुत अच्छी जानकरी दी आपने
सीमा जी और हिन्दयुग्म को बहुत-बहुत बधाई इस जानकारी के लिए. सभी भारतीयों को अपने अतीत, इतिहास और गौरवपूर्ण परम्पराओं को जानना चाहिए. हमारे पूर्वजों ने हमारी वैचारिक व धार्मिक स्वतन्त्रता को तानाशाहों और आततायियों से बचाने के लिए हंसते-हँसते अपने प्राणों की आहुति दे दी परन्तु उसके साथ-साथ ही भक्ति-भावना, देशप्रेम और काव्य व साहित्य से अनुराग की परम्परा को जीवित रखा.
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)