बूझो तो जाने...
प्रिय बच्चों नीचे कुछ पहेलियाँ है 'सोचो समझो और बताओ'
अपने अपने उत्तर टिप्पणियों में लिखिये और उस पर चित्र बनाकर
मम्मी पापा और भाई को दिखाइयेगा.. हो सके तो चित्र हमें भी भेज दें
ई-मेल पता है : raghav.id@gmail.com
1.
नीले सागर की मैं मछ्ली
बादल से बातें करती हूँ
गोते खाती मैं इतराती
लेकिन बारिश से डरती हूँ
2.
हम भाई चालीस एक जुट
मुहुँ हमारे काले हैं
रगडों जो दीवार पर हमको
हम रोशनी करने वाले हैं
3.
एक पैर वाला हूँ लेकिन
हाथ हजार मेरी देह विशाल
मेरी दाढ़ी मेरे पांव तक
इतने लम्बे मेरे बाल
4.
सरदी को मैं दूर भगाती
गरमी में मैं खुद छुप जाती
सबके घर मैं जाऊँ पाई
मेरा नाम बताओ भाई
5.
बचपन हरा जवानी पीला
मैं हूँ राजा बड़ा रसीला
अगर बताओ मेरा नाम
ले जाओ एक बड़ा इनाम
6.
तेज धूप हो या बरसात
रखो जो मुझको अपने साथ
अपने तन पर खाऊँगा
तुमको मगर बचाऊँगा
7.खूब अकल दौड़ाओगे
फिर भी समझ ना पाओगे
मैं खुद में छुपकर रहती हूँ
क्या अब तुम बतलाओगे ?
------~:o:~------
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11 पाठकों का कहना है :
ह्म्म कुछ जवाब मिल गए मुझे ...:)
४ का उत्तर रजाई .
५ का आम
६ का छाता
बाकी राघव अंकल बताएँगे या कोई और :) इनाम देंगे राघव अंकल :)..मुझे अभी मेरी आइस क्रीम मिलने वाली है ...है न अंकल:)
बिजली1 जब आकाश मी चमके
तो रजाई4 मे मैं छुप जाऊं
बैठ बरगद3 के पेड़ के नीचे
मीठे आम5 रसीले खाऊ
बुद्धि7 से लेती हूँ काम
छाता6 अपने संग ले जाऊं
जितने मुंह उतनी ही बात
राघव जी नंबर दो सौगात
अपनी नही बुद्धि मे आई
कोई तो ज़रा बता दो भाई
अब मुझे दो मेरा इनाम
चोकलेट आइसक्रीम का दाम
:) :) :)
मुझे लगता है दूसरे का जवाब पटाखा (दीवार पर मार के चलाने वाला) होना चाहिए | ठीक जवाब दिया न मैंने , अभी जल्दी से हमारे इनाम भेजो
बहुत बढ़िया राघव जी, वाह वाह.
रंजू जी और सीमा जी ने लगभग सभी जवाब दे ही दिये हैं. मेरे ख्याल से 2 का उत्तर माचिस (की तीलियाँ) है.
क्या 1 का उत्तर पतंग नहीं है?
Sushama ji aapne sahi kaha pahale kaa ans. PATANG hi hona chaahiye aur doosare kaa MAACHIS ....
Achchhee paheliyaan hain.
राघव जी ,
कल बस यही विचार आया कि बाल उद्यान पर अब तक पहेलियाँ बूझने को नहीं मिली और आज ही आपने ये इच्छा भी पूरी कर दी . धन्यवाद .
अब तक सभी पहेलियाँ हल हो चुकी हैं . मुझे बस अब इनके चित्र ही बनाने पढेंगे..... :(
^^पूजा अनिल
राघव जी.. बहुत खूब.. बधाई स्वीकारें..
सीमा सचदेव जी आप का तो जवाब नही... बहुत खूबसूरत तरीका..,.लेकिन यह बच्चों के बूझने के लिए था...खैर अगर आप अभी भी अपने को बचपन में ही पाती हैं तो फिर तो इससे बढ़ कर बात ही क्या...
कवि जी हम बच्चो के लिए लिखते है तो ख़ुद को बच्चा तो समझना पड़ेगा न |आप नही जानते आप मे भी तो बच्चा छुपा हुआ है ,तभी तो आप बच्चो के लिए लिख रहे है :):)
मेरे प्यारे प्यारे होनहार बच्चो.. अभी एक बची है..
100/100 लेने के लिये थोड़ा और सोचो..
वैसे बच्चू आपलोगों ने ना चीटिंग की है..हाँ..
कवि जी सही कह रहे हैं पहेलियाँ बच्चों के लिये थीं ना कि बच्चों की मम्मा के लिये.. चलो खैर अच्छा लगा कि बडे बडे होने पर भी सभी में बच्चे मौजूद हैं.. वैसे अगली बार बडों के हिसाब से
पहेलियाँ बनाऊँगा बच्चू तब बताना...
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