कुछ नन्ही-नन्ही कविताएँ (आओ गाएँ)
१
एक-दो
बम-बम बो
तीन-चार
खोलो द्वार
पाँच-छ:
भारत की जय
सात-आठ
सीखो पाठ
नौ-दस
हो गई बस।
२.
चन्दा मामा आए हैं
तारों को सँग लाए हैं
टिम-टिमाते सुन्दर तारे
लगते मुझको प्यारे-प्यारे
३.
नभ मे छाए बादल काले
उमड़-घुमड़ नाचे मतवाले
खिल-खिल, खिल-खिल
हँस दी कलियाँ
भर-भर गई
बच्चों से गलियाँ
४.
ची-ची ची-ची चिड़ियाँ बोली
आओ बच्चो खेलें होली
रंग-बिरंगे हम रंग डाले
बन जाएँ हम सब हमजोली
५.
काव-काव काव-काव कौआ करता
बच्चों से यह कभी न डरता
झूम-झूम के नाचे मोर
जब छाएँ बादल घनघोर
६.
मीठा-मीठा आम रसीला
दिखने में है पीला-पीला
इसका रस हम सबको भाए
खाएँ खूब जब पापा लाएँ
७.
सुबह-सवेरे सूरज उगता
नन्हा-मुन्ना नींद से जगता
हो तैयार स्कूल को जाए
मम्मी-पापा खुश हो जाएँ
८.
बन्दर मामा केला खाता
बच्चों तो खूब चिढ़ाता
डम-डम डमरू बजा के मदारी
बन्दर मामा को खूब नचाता
-सीमा सचदेव
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7 पाठकों का कहना है :
सीमा जी ,
आपने तो आज बच्चों के लिए पूरे दिन कविताएँ गाने का बंदोबस्त कर दिया ,एक-दो-तीन, चन्दा मामा,तारे, चिडिया ,बन्दर मामा, मोर, कौआ, नन्हा मुन्ना,बादल आदि सब आए हैं , अब तो हमें भी इनके सुर में सुर मिलाके गाना गाना होगा .
बहुत सुंदर छोटी छोटी कविताएँ लिखी हैं , बधाई
^^पूजा अनिल
क्या बात है...
नन्हें मुन्नों के लिये नन्हीं मुन्नी रचनाये..
बहुत बढिया...
सीमा जी
सुन्दर गीत लिखा है। बधाई स्वीकारें।
bahut achcha seema ji
वाह नन्ही नन्ही बच्चो की कविता सच में पढने में बहुत अच्छा लगा ..बधाई
बहुत ही प्यारे शिशुगीत हैं। सीमा जी, इतने सुन्दर शिशुगीतों के लिए बधाई स्वीकारें।
सीमा जी,
छोटे बच्चों से इन्हे गवाने में बड़ा ही मजा आयेगा.
बहुत सुंदर और विविध.
बधाई.
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