बूझो तो जाने ,
1:)आसमान से धीरे धीरे
सदा रात को मैं आती
सुबह सुबह मोती बन के
तिनकों पर सो जाती !!
2:)सागर से पानी भर लाता
आ कर सबकी प्यास बुझाता
3:) ऊपर से गिर कर शोर मचाता
फिर भी सबके दिल को भाता
4:)पानी में भी मैं रह सकता
और जमी पर भी उछलता
वर्षा ऋतु है मुझे प्यारी
सर्दी गर्मी है मुझ पर भारी
5:)चाहो जहाँ वहाँ ले जाओ
सदा साथ में रह सकता हूँ
संपर्क किसी से टूटने ना दूँगा
ऐसा दावा भी मैं करता हूँ
6:)दूर हम रहते हैं
नही पकड़ में आते हैं
दिन में कोई देख ना पाए हमे
रात को घर से बाहर निकल आते हैं
7:)बोलो कौन गगन से उँचा
और है सागर से भी गहरा
जिस पर कभी लग नही सकता
बंदूकों का पहरा है
8:) हम माँ बेटी
तुम माँ बेटी
चलो बाग़ को जाए
तीन आम तोड़ कर
पूरा पूरा खाए
बताओ कैसे
कौन है हम
ज़रा बताओ
बुझो नही तो
हम बतलाये :)
उत्तर ...1,ओस ,2,बादल ,3,झरना,4,मेढक,5,सेल फोन ,6,तारे,7,मन.8,माँ बेटी नानी

आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
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कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों?
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बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
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6 पाठकों का कहना है :
रंजू जी,
बहुत अच्छी पहेलियाँ...
बचपन की याद दिलाती है
सभी बेहतरीन पहेलियीँ हैं। रंजना जी आपने बाल-उद्यान को जो रचनात्मक विविधता प्रदान की है उसके लिये आप बधाई की पात्र हैं।
*** राजीव रंजन प्रसाद
रंजू जी बच्चों को अपनी बात समझाने का बेहद प्यारा तरीका है पहेली, और आप बच्चों को रिझाने का कोई मौका तो छोड़ने से रहीं.
बहुत अच्छे
आलोक सिंह "साहिल"
रंजू जी,
आप की पहेलियाँ बाल-उद्यान को रोचक और रचनात्मक बना रही हैं .
साथ दिए चित्र पहेलियों को समझाने में सहायक हैं.
आखिरी पहेली सबसे अच्छी लगी.
अच्छी पहेलियां हैं। कुछ और पहेलियां यहां हैं - बाल जयहिंदी।
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