आ गई दीदी की पाती तुमको नई बात बताती
दीदी की पाती ...
नमस्कार ,प्रणाम ,सलाम ,हेलो :)
कैसे हो आप सब ? क्या कहा सर्दी ज़ुकाम से परेशान हैं ओहह्ह्ह्ह यह तो बहुत गड़बड़ बात है आपने ध्यान नही रखा ना , कि अब मौसम बदलने लगा है... मौसम के मिजाज़ भी बदलते रहते हैं ..कभी गरमी कभी सर्दी .. ठंडा ठंडा लगता है न सुबह शाम :)आज आपको बताती हूँ इसी मौसम के एक रंग यानी ओलो और स्नो्फाल के बारे में
कभी कभी तेज बारिश के साथ अचानक छोटे -बड़े बर्फ के गोले गिरने लगते हैं, जिन्हे ओले कहते हैं देख के दिल में आता तो है न यह कहाँ से आ गए?
कैसे गिरने लगे ? आओ तुम्हे बताएं कि यह कैसे बनाते हैं ..
होता क्या है ,जब बादलों से वर्षा की बूँदे गिरती हैं धरती पर तो हवा उन्हे फिर तेज़ी से उपर ले जाती है
अब वहाँ होती है बहुत सर्दी अब यह मासूम वर्षा की बूँदे बन जाती हैं बर्फ़ ...!अब जब यह नीचे गिरने
लगती है यानी की धरती के पास तो पानी की परत इनके उपर जमा होती जाती है और यह गोले बन जाते हैं
जब यह ठंडी जगह से हो कर निकलते हैं तो ओले बन जाते हैं अब यह इतने मोटू हो जाते हैं की अब हवा कितनी कोशिश करे इन्हे उपर नही ले जा पाती कभी कभी तो यह कई कई किलो के भी हो जाते हैं जैसे 14 एप्रिल 1986 को बंगला देश के गोपाल गंज ज़िले में 1.02 किलोग्राम के वज़न के ओले गिरे थे
अमरीका के काफ़ीविलो और केंसास नगर में 3 दिसंबर 1970 में 750 ग्राम वज़न के ओले पड़े उन ओलों का व्यास 19 सेंटी मीटर तक था जर्मनी के एक्सन नामक नगर में जब ओले गिरे तो अंदर एक मछली भी जमी हुई मिली
इनके होने से फ़सल खराब हो जाती है पर या बेमौसम बर्फ़ का मज़ा भी देती है
यह तो हुई ओलों की बात पर ऊँचे पहाडों पर बारिश के आलावा बर्फ भी गिरती है यह ऊँचे पहाडों पर रुई के नन्हे नन्हे रेशों की तरह गिरती है एक दम मुलायम और सफ़ेद !
अब यह कैसे गिरती है ? क्या पता है आपको ...? इस ठंडी बर्फ के जन्म में गरमी अपना काम करती है गरमी के कारण समुन्द्र और नदियों का पानी भाप बन के उड़ जाता है यह भाप बहुत हलकी होती है इसलिए यह ऊपर ऊपर उठती जाती है और यही भाप फ़िर बारिश बन के बरसती है ! अब ऊंचाई पर तो तापमान होता है कम सो वहाँ यह ठंड के कारण बर्फ मॆं बदल जाती है यही कण एक दूसरे से मिल कर बर्फ के रेशे बन जाते हैं और जब यह गिरती है तो इस को ही कहते हैं बर्फ़बारी या स्नोफाल !
अब यदि यह ओला बन के गिरे तो नुकसान हो जाता है और बर्फ बन के गिरे तो लाभ ही लाभ ,अब आप कहोगे वो कैसे ?अरे जब गरमी आएगी तो यही बर्फ पिघल कर बनेगी पानी और भर देगी हमारी नदियों को ...फ़िर वही चक्र चलेगा और हम यूं कुदरत के खुबसूरत नज़ारे देखते रहेंगे !
चलो अब आपको बात दिया कि यह बर्फ कैसे पड़ती है आप अब सर्दी ज़ुकाम को जल्दी से दूर भगाओ
क्यूंकि आ गए हैं अब नवरात्रे ,और ढेर सारे त्योहारों का मौसम दशहरा, दिवाली ,यानि कि खूब मस्ती और करेंगे अब हम सब मिल के हल्ला गुल्ला ...:)
अपना रखो ध्यान ,दीदी जल्दी आएगी आपके पास फ़िर ले के कोई नई बात :)
आपकी दीदी रंजना
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11 पाठकों का कहना है :
रंजना जी...
दीदी की नई पाती के लिये बहुत बहुत बधाई..
बहुत ही सुंदर जानकारी...
सचमुच आप बचपन की कई बातें याद करा देती है...
बच्चों के लिये दी गई जानकारी बडों के लिये भी उपयोगी है। काश! मैं अभी बच्चा बन सकता………………!और आपकी बातो को मह्सूस कर सकता।
नमस्कार रंजना जी,
बर्फ और ओले का चक्कर
अच्छा लगा सुबह सुबह पढ़कर.
ये प्यारी प्यारी सी पाती
रोचक तथ्य हमें बातलाती
कभी न कम हो इसकी स्याही..
पाती वाली 'दी' तुम्हें बधाई..
रंजना जी,
बच्चों से अधिक तो अभिभावकों को आपके इस स्तंभ का इंतजार रहता होगा कि इतनी बहुमूल्य जानकारी प्राप्त कर अपने लाडलों पर रौब झाड सकें :)
हर नयी कडी के साथ आपका यह स्तंभ और भी रोचक और ज्ञानवर्धक होता जा रहा है।
बधाई।
*** राजीव रंजन प्रसाद
बच्चो इस बार तो रंजू दीदी की पाती खोलते ही ओले पड़े
वह क्या कहते हैं 'सिर मुंड़ाते ही ओले पड़ना' एक कहावत है
ना अपनी प्यारी हिन्दी भाषा की
परन्तु यह स्नोफाल यानी कि बर्फ गिरने के बारे में
इतनी सारी जानकारी के साथ साथ बदलते मौसम को पढ़ना
बहुत उपयोगी लगा बच्चो मैंने तो रंजना दीदी की सलाह मानते
हुये अपना बचाव करना प्रारम्भ कर दिया है आप सब अपने स्वास्थ्य
का ध्यान रखना
रंजना जी,
पिछली कडियों की तरह यह कडी भी एक उपयोगी जानकारी का भंडार है... छोटे बडे सबके लिये.
बहुत बेहतरीन तरीके से जानकारी पेश की है. मजा आया. बधाई.
रंजना जी
बहुत ही उपयोगी जानकारी दी है आपने । बधाई ।
रंजना जी,
बहुत सुंदर जानकारी...
मजा आया.....
बधाई.
आपकी पाती की बात ही निराली है। आपके जबरदस्त प्रस्तिकरण और ज्ञानवर्धक जानकारी के कारण यह बाल-उद्यान कर एक सफल और महत्वपूर्ण स्तम्भ बन गया है। बधाई।
रंजू जी,
आपकी पाती से सच में बहुत कुछ सीखने को मिलता है। हम सब बच्चे बन कर आपकी पाती का इंतजार करते हैं।
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