बंदर की दुकान (बाल-उपन्यास पद्य/गद्य शैली में)- 4
तीसरे भाग से आगे....
4. अब थोडी देर में बंदर मामा की दुकान पर भौं-भौं करता हुआ कुत्ता आ पहुंचा और आते ही:-
थोडी देर में कुत्ता आया
भौं भौं करके कह सुनाया
ऐसी बिल्ली का क्या रेट
जिससे भर जाए मेरा पेट
दे दो मुझको ताजी-ताजी
बनाऊंगा बिल्ली की भाजी
देखो देना बिल्ली मोटी
साथ में दे देना दो रोटी
सुनकर बंदर हुआ अवाक्
और कुत्ते से बोला तपाक
ऐसी बिल्ली दूंगा तुझको
याद करेगा हर पल मुझको
आर्डर बुक अब कर लेता हूं
कल तक तेरे घर देता हूं
ऐसे कुत्ते को टरकाया
मन ही मन क्रोध भी आया
बोलो बंदर भाई, बिल्ली का क्या रेट है ?
देखो, मुझे एक ताजी-ताजी मोटी-मोटी बिल्ली और साथ में दो रोटी भी दे दो। आज मैं बिल्ली की भाजी बनाऊंगा, जिसे खाकर मेरा पेट भर जाए।
अब बंदर को बहुत गुस्सा आने लगा, लेकिन फ़िर कुत्ते से बोला :-
कुत्ते भाई, मैं तुम्हें ऐसी बिल्ली दूंगा कि तुम उसे खाकर मुझे सदा याद रखोगे। मैं अभी तुम्हारा आर्डर बुक कर लेता हूँ और कल तक तुम्हें दे दूंगा। यूं बंदर मामा नें कुत्ते को टरका दिया।
पाँचवाँ भाग
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5 पाठकों का कहना है :
लगता है ऐसे तो बन्दर को अपनी दुकान जल्दी बंद करनी पड़ेगी ?...आगे कुआ होता इंतजार रहेगा. ?...
अरेबच्चे है न गलती हो ही जाती है... कुआ नहीं,,क्या पढियेगा ....
Bacchon! bandar to koi mal hi nahi bechta hai. aise mein dukan nahin chalegi aur khani mein ek dusare ke dushman badhte ja rahe hai.Upanyas din duna raat chogna badta ja raha hai. Age ka intjar hai..........!
Manju Gupta
थोडी देर में कुत्ता आया
भौं भौं करके कह सुनाया
ऐसी बिल्ली का क्या रेट
जिससे भर जाए मेरा पेट
दे दो मुझको ताजी-ताजी
बनाऊंगा बिल्ली की भाजी
देखो देना बिल्ली मोटी
साथ में दे देना दो रोटी
सुनकर बंदर हुआ अवाक्
और कुत्ते से बोला तपाक
ऐसी बिल्ली दूंगा तुझको
याद करेगा हर पल मुझको
आर्डर बुक अब कर लेता हूं
कल तक तेरे घर देता हूं
ऐसे कुत्ते को टरकाया
मन ही मन क्रोध भी आया
बच्चों के लिए आम बोलचाल के लफ्जों में एक सुन्दर कविता.
aree bhaai ab aage kya ,jaldi bataaiye aur intzaar nahi hota
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