भोजन
भोजन से संसार
भोजन दे आधार .
भोजन को दो मान
गेहूँ हो याँ धान .
तरह तरह के भोज
चाहें सब हर रोज .
भूख से हो कर तंग
शिथिल हो जाते अंग .
भोजन मिले तो जान
तन में खिलते प्राण .
मत करना अपमान
भोजन है भगवान .
भोजन से अनजान
कोई नही इंसान .
मिले भोज दो वक्त
तन में बनता रक्त .
खेत जोते किसान
उसको दें सम्मान .
पेट जो खाली जान
भोजन देना दान .
भोजन है आधार
जग जीवन का सार .
कवि कुलवंत सिंह
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
3 पाठकों का कहना है :
खेत जोते किसान
उसको दें सम्मान .
सही कहा किसान को सम्मान देना चाहिए भोजन देने वाला ही सबसे ज्यादा परेशानी में रहता है
सुन्दर कविता
सादर
रचना
खेत जोते किसान
उसको दें सम्मान .
जी कुलवंत जी बहुत अच्छी बात कही आपने. आम भाषा के शब्दों में एक सुन्दर कविता.
Gagar mein sagar bhar diya.
bhojan padhkar maja a gaya.
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)