विज्ञान
जन जीवन को सुखी बनाया
देखो यह विज्ञान की माया
नित नया अन्वेष कराया
जन जन तक इसको पहुंचाया .
सुख सुविधा के ढ़ेर लगाए
स्वर्ग धरा पर यह दिखलाए
बिजली, कूलर, पंखा आए
फ्रिज, ए. सी. ठंडा रखवाए .
गाड़ी, मोटर, प्लेन जरूरी
दूर लगे न कोई भी दूरी
आशा सबकी करते पूरी
पैसा रखना जेब जरूरी .
दूर गगन में धाक जमाई
उपग्रह की भरमार लगाई
चंदा की धरती खुदवाई
मंगल की भी सैर कराई .
सागर में भी पैठ लगाई
पनडुब्बी में दौड़ लगाई
सागर तल की कर खुदवाई
ईंधन की भरमार लगाई .
कंप्यूटर का खेल निराला
हर कोई जपता इसकी माला
मोबाइल जेब में सबने डाला
भैया, दीदी, मम्मी, खाला .
खुशियां सबके जीवन आएं
मिलकर आओ बांटें खाएं
द्वेष शत्रुता भूल जाएं
जग में हर जीवन महकाएं .
कवि कुलवंत सिंह
kavi kulwant singh
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6 पाठकों का कहना है :
विज्ञान की महिमा अपरम्पार।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
विज्ञान चमत्कार के साथ साथ उसपर इतनी सहज ग्राह्य कविता चमत्कार से कम है क्या? वाह कुलवंत भाई।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.
maza hi aa gaya
badhaai
कंप्यूटर का खेल निराला
हर कोई जपता इसकी माला
मोबाइल जेब में सबने डाला
भैया, दीदी, मम्मी, खाला .
Bale-bale, badhayi
Vaigyaniik ne vigyan ke shabdo ka balmanovigyan ka dhyan rakh kar kavita ko racha hai.
Manju Gupta.
आप बडो के लिए जिस सुन्दरता से लिखते हैं उसी सुन्दरता से बच्चों के लिए भी लिखते हैं
ये आप की खूबी है
बधाई
सादर
रचना
कंप्यूटर का खेल निराला
हर कोई जपता इसकी माला
मोबाइल जेब में सबने डाला
भैया, दीदी, मम्मी, खाला .
विज्ञानं के चमत्कार पर क्या खूब कविता लिखी आपने.
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