Thursday, November 6, 2008

हितोपदेश- 2.दुष्ट आदमी

नमस्कार बच्चो ,
कैसे हैं आप सब लोग? आज हम फिर हाजिर है आपके सम्मुख एक नई कहानी के साथ।
कुछ दिन पहले हमने आपको बताया था कि हमने आपके लिए हितोपदेश की कुछ कहानियों
का काव्यानुवाद किया है, और आपको एक कहानी सुनाई भी थी साधु और चूहा याद है न
अब सुनो दूसरी कहानी" दुष्ट आदमी "


2.दुष्ट आदमी

एक कौआ और एक थी बुलबुल
घर था उनका प्यारा जंगल
बुलबुल बड़ी नरम दिल वाली
बैठी रहती वृक्ष की डाली
बड़ा चतुर था पर वह कौआ
इधर-उधर उड़ता था भैया
इक दिन एक शिकारी आया
देखी पेड़ की गहरी छाया
गया था गर्मी में थक-हार
आया मन में एक विचार
क्यों न थोड़ा करे आराम
फिर जाएगा अपने काम
सोच के वह छाया में लेटा
और निद्रा का आ गया झूठा
आ गई उसको निद्रा गहरी
पर छाया न वहाँ पे ठहरी
धूप लगी आने वहाँ पर
पड़ने लगी थी उसके मुख पर
देख रही थी यह सब बुलबुल
पिघल गया बुलबुल का दिल
उसने अपने पँख फैलाए
ताकि वहाँ छाया हो जाए
पर कौआ था बड़ा चालाक
उड़ गया वह वहाँ से तपाक
हो गई जब सब दूर थकावट
ली शिकारी ने तब करवट
जब उसकी आँखें गईं खुल
देखा टहनी पर थी बुलबुल
झट से उठाया तीर-कमान
ले ली उस बुलबुल की जान
गिरी वो अब धरती पर आकर
बैठी थी जो पँख फैलाकर
बच गया था कौआ चलाक
बच्चो, होना नहीं अवाक
दुष्टों पे एतबार न करना
न ही इतने भोले बनना
करनी दुष्ट के संग में भलाई
समझो नई मुसीबत आई

*****************************
हम फिर से मिलेंगे एक नई कहानी के साथ। तब तक बाय-बाय......
सीमा सचदेव


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7 पाठकों का कहना है :

रंजू भाटिया का कहना है कि -

यह तो बहुत अच्छी लगी कहानी ..बहुत बढ़िया प्रयास है यह

Arshia Ali का कहना है कि -

Sundar kahani. Badhayi.

अभिषेक मिश्र का कहना है कि -

बच्चों के लिए अच्छा संदेश है इस कहानी में. बधाई.

Anonymous का कहना है कि -

क्या बात है दुष्टों पे कभी भी विश्वास नही करना चाहिए में तो कहूँगी की आंख मूँद के तो किसी पे भी विश्वाश नही करना चाहिए
बहुत सुंदर कविता में कहानी या फ़िर कहानी की कविता .आप की इस लेखन छमता को साधूवाद
सादर
रचना

Unknown का कहना है कि -

अच्छी और शिक्षाप्रद कविता

सुमित भारद्वाज

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

जिसने भी यह पढी होगी
लगी होगी बहुत उपयोगी
मात्र नही बच्चों की कहानी
आज सभी के हित की बानी
सीमा जी का धन्यवाद जो
इतनी अच्छी बात बखानी

Anonymous का कहना है कि -

bahut hi majedar kahani.bacche jarur pasand karenge.behatarin
ALOK SINGH "SAHIL"

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