Tuesday, December 11, 2007

दीदी की पाती भाग ७







नमस्ते सबको ,
कैसे हो जी सब ....? आ गई फ़िर दीदी आपकी :) आज एक मजेदार बात बताऊँ आपको ,वैसे तो वह मैं अपनी हर पाती में कोशिश करती हूँ कि आपको हर बार नई नई जानकारी मिले ..कुछ दिन पहले मैं यही सोच रही कि इस बार की पाती में क्या नया बताऊँ आपको ..तभी बारिश शुरू हो गई ..कुछ बच्चे सामने पार्क में खेल रहे थे भाग के हमारे घर के बरामदे में आ कर बैठ गए !बारिश रुकने का इंतज़ार और खेलने की जल्दी ..ऊपर से शैतान बच्चे कैसे बैठे अब शांत ..बैठना भी नही चाहिए :) उन सब बच्चो ने आपस में बैठे बैठे सोचा चलो कुछ गाने या पहेली खेलते हैं ...सब अपनी बारी आने पर पहले पूछते और फिर बाक़ी बच्चे उत्तर देते ..तभी सोनी ने एक पहेली पूछी सब बच्चे चकरा गए ...वो पहेली थी ....



ना मेरे आँख है और ना कभी थी ;
ना मेरे पाँव है और ना कभी थे ;
ना मेरे मुहं है और ना कभी था ;
लेकिन एक बार मुझे ज़िंदा दफ़न कर दिया गया
आँखो के बिना में देख नही सकता था ;
बिना पाँव के चल नही सकता था
बिना मुहं के मैं किसी को पुकार नही सकता था
फिर भी मैं वहाँ से बाहर निकल आया
अब बोलो मैं क्या हूँ ...?????????
बच्चे सोच में डूब गए कि यह क्या कैसी पहेली है ?


क्या तुम ज़िंदा हो ? ......रवि ने पूछा
हाँ मैं ज़िंदा हूँ ....सोनी ने कहा
क्या तुम बड़े हो?..... सचिन ने पूछा
अब मैं थोड़ा सा बड़ा हूँ .....सोनी ने कहा

अब तो सब बच्चे परेशान कि यह क्या चीज़ है ? तभी नन्ही प्रीति बोली मुझे पता चल गया कि तुम क्या हो
सोनी ने मुस्करा के कहा कि बताओ फिर ..प्रीति ने कहा तुम पौधा हो ,पहले तुम बीज थे फिर शिशु पौधा बन गए !

वाह !!यह पहेली तो बहुत मज़ेदार लगी है सबने कहा ...लेकिन यह शिशु पौधा ज़मीन से बाहर कैसे निकाला ?

मैं वहीं अंदर बैठी इन बच्चो की बातें मजे से अपने कमरे की खिड़की से सुन रही थी .मुझे लगा कि यह प्यारे प्यारे बच्चे तो बहुत ही अच्छा खेल खेल रहे हैं ,चलो मैं भी इनके खेल में शामिल हो जाती हूँ .और इन्हे बताती हूँ कि बीज से पौधा कैसे बना ?
सुनो बच्चों ..क्या तुम जानना चाहोगे कि यह नन्हा शिशु पौधा कहाँ से कैसे आया ?
हाँ हाँ दीदी क्यों नही ..सब बच्चों ने कहा ..अच्छा तो सुनो ..
जब नन्हे बीज को ज़मीन मिटटी मिल जाती है तो वह नमी पा कर बीज का छिलका अलग होने लगता है और वो धीरे धीरे पौधे में बदलने लगता है इन बीज में एक आँख होती है जिनसे छोटे छोटे बाल जैसे रेशे दिखाई देते हैं इन्ही से यह पानी लेते हैं कुछ दिनों में इन्ही में से पत्तियां निकलने लगती है और यह पौधा बड़ा होने लगता है ...तभी सचिन ने पूछा की यह नन्हा शिशु पौधा क्या सिर्फ़ पानी पी कर ज़िंदा रहता है ..
नही यह खाना भी खाता है ..मैंने कहा सब बच्चे हैरान हो गए कि वो कैसे ?
वो ऐसे कि कि नन्हा पौधा जिस बीज से निकलता है उसी में उसका भोजन होता है , वही खा के धीरे धीरे बड़ा होता है ..जब तक यह बड़ा नही हो जाता तब तक यह इसी बीज से अपना खाना लेता है फिर जब वो बड़ा हो जाता है तो अपना खाना ख़ुद बनाता है ,हवा ,पानी और सूरज की रोशनी और खनिज पदार्थ की मदद से ..


तो क्या यह पोधे भी बोर्नविटा या हर्लिक्स पीते हैं प्रीति ने पूछा क्यूंकि मेरी मम्मी कहती है कि इनको लेने से तुम्हे खनिज पदार्थ मिलेंगे ,....यह सुन कर सब बच्चे हँसने लगे ..
पौधे जो पानी लेते हैं वो मिटटी का पानी पौधों की जड़ों में जाता है तो ज़मीन में तो बहुत से खनिज़ पदार्थ है वो भी पौधे में चले जाते हैं ,इस तरह इन पौधों को यह मिल जाते हैं !.पौधे साँस भी लेते हैं और इन में हमारी तरह जीवन भी होता है ..बच्चे यह सब जानकारी पा कर बहुत ख़ुश हुए तभी बारिश भी रुक गयी ..सामने पार्क में छोटे बड़े पौधे नये से, जैसे नहा के चमक के बच्चों को अपनी तरफ़ बुला रहे थे ..बच्चे भाग के पार्क में चले गए और उन नन्हें पौधों को देख कर ख़ुश हो गए! आज उन्होने पौधे के बारे में बहुत सी नयी बाते जान ली थी !!

तो देखा न आपने कि पौधों में भी जान होती है ,और वो भी आपकी तरह धीरे धीरे बढे होते हैं,:)
तो आज की पाती अब यही हुई पूरी ,अगली पाती में फ़िर से होगी ...बहुत नई और मजेदार सी बात
ठंड बहुत हो गई है.. सब अपना ध्यान रखे .खूब खाएं ,पीयें और खेले ....

बहुत बहुत प्यार के साथ आपकी दीदी


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8 पाठकों का कहना है :

अभिषेक सागर का कहना है कि -

रंजना जी,

ईक और दीदी की पाती बहुत अच्छी बात है... बहुत अच्छी जनकारी है...

Anonymous का कहना है कि -

लो बच्चों फ़िर आ गई आपकी प्यारी दीदी की पाती,
रंजना जी कमल लिखती हैं आप भी,बिल्कुल बच्चों के माफिक
बहुत अच्छे
अलोक सिंह "साहिल"

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

दफन बीज पौधा बना, पौधा वृक्ष विशाल
बच्चों पादप भाँति ही रखना लक्ष विशाल

अपने पैरों पर बढे, खुद करता सब काम
फल फूल पत्ती छाँव से गैरों को आराम

रंजू जी की हो रही हर पाती उपकार
किन शब्दों से व्यक्त करें उनका हम आभार

ऐसे ही मिलता रहे स्नेहिल का प्यार
हमको बहुत ही भा रही हर पाती हर बार

-नटखट समुदाय

Alpana Verma का कहना है कि -

उम्मीद है कि बाल वर्ग इस रचना से जरुर लाभान्वित होगा.
रंजना जी ने 'बीज से पौधा कैसे बना' विषय पर जानकारी रोचक तरीके से दी है
और चित्रों ने तो चार चाँद लगा दिए-
बहुत खूब!

शोभा का कहना है कि -

वाह़ रंजना जी
बहुत सुन्दर और प्रभावी लिखा है । बधाई

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

रंजना जी,

आपके बाल-लेखन की प्राण है वह रोचकता जिसे आपने इस पाती में भी आरंभ से अंत तक बनाये रखा है। बधाई स्वीकारें।

*** राजीव रंजन प्रसाद

Mohinder56 का कहना है कि -

अन्दाजे बयां बहुत पसन्द आया...बीज से पौधा और तिल से ताड :) बच्चों के लिये उपयोगी पाती है... लिखते रहिये

anuradha srivastav का कहना है कि -

बहुत ही रोचक तरीके से बच्चों को समझाया गया है। बधाई......

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