Wednesday, August 5, 2009

आओ राखी मनायें

छोटी सी बहना थी एक
और था प्यारा सा इक भाई
बड़े प्यार से दोनों ने,
इस वर्ष भी देखो राखी मनाई ।

सुबह-सुबह उठ कर बहना ने,
प्यार से भैय्या को था जगाया,
रूठे हुए भैय्या को ,
बड़े जतन से उसने मनाया।

हौले-हौले थपकी दे कर,
आलस से उसको था उठाया,
फिर जबरन बहना ने उसको,
नहा कर आने को था मनाया।

बड़ी शान से भैय्या जी फिर,
नहा-धो कर थे निकले बाहर,
अच्छे-अच्छे कपड़े पहने,
इत्र लगा कर किया शृंगार,
बहना ने भैय्या की खातिर,
आरती का था थाल सजाया।

चावल-रोली थाल में रख कर,
मौली को था राखी बनाया,
भूल कर सारे झगड़े उसने,
तिलक था माथे पर लगवाया।

बहना ने फिर राखी बाँधी,
बाद में उसकी आरती उतारी,
ईश्वर से हूँ कामना करती,
लम्बी हो बस ये उमर तुम्हारी।

भैय्या ने भी बहना को फिर,
दिया प्यारा सा उपहार,
बहना बोली कुछ न चाहूँ,
माँगती हूँ बस तेरा प्यार।

तुम भी मिल कर राखी मनाओ,
झगड़े-टंटे सब बिसराओ,
प्यार से भाई-बहना मिल कर,
सारी उम्र खुशी से बिताओ ।

- डा॰ अनिल चड्डा


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7 पाठकों का कहना है :

Nikhil का कहना है कि -

घर से दूर रहकर अच्छी लगी आपकी कविता..सबको रक्षाबंधन की शुभकामनाएं...

दिनेशराय द्विवेदी का कहना है कि -

रक्षाबंधन पर शुभकामनाएँ! विश्व-भ्रातृत्व विजयी हो!

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

आप सभी को व संसार के सभी भाई-बहनों को इस पावन दिवस पर मेरी तमाम शुभ कामनाएं.

Manju Gupta का कहना है कि -

विश्व के सभी भाई -बहनों को रक्षाबंधन की बधाई . बाल कविता पढ़ कर बचपन याद आ
गया .कविता और फोटो सार्थक हैं , बधाई .

manu का कहना है कि -

इस कविता को पढ़ना बहुत अच्छा लगा
इस पावन त्यौहार पे सब को बधाई

Akshitaa (Pakhi) का कहना है कि -

Bahut pyari Poem..happy Rakshabandhan.

पाखी की दुनिया में देखें-मेरी बोटिंग-ट्रिप

Shamikh Faraz का कहना है कि -

चड्डा जी आपकी कविता में बहुत स्नेह है.

भैय्या ने भी बहना को फिर,
दिया प्यारा सा उपहार,
बहना बोली कुछ न चाहूँ,
माँगती हूँ बस तेरा प्यार।

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