टर्की और बैल
आओ पहले इस चिड़िया के बारे में बता दूं. टर्की एक बड़ी और मोटी चिडिया होती है जो जमीन पर ही चलती है और उड़ नहीं पाती. यह चिडिया इंग्लैंड, अमेरिका, आस्ट्रेलिया आदि देशों में पायी जाती है. और 25 दिसम्बर को क्रिसमस के दिन वहां के लोग इसे पकाकर खाते हैं, ऐसा वहां के लोगों में रिवाज है. हमारे यहाँ भारत में होली - दीवाली पर हम लोग तरह-तरह के पकवानों के साथ पूरी कचौरी भी बनाते हैं वैसे ही वह लोग खाने में तरह-तरह की चीजें बनाते हैं पर उस दिन ख़ास तौर से खाने में टर्की की प्रमुखता रखी जाती है.
अब कहानी भी सुनिये:
तो एक टर्की कहीं पर एक बैल से बातचीत कर रही थी. और बातों-बातों में एक पेड़ को देखकर बोली, ''मेरा बहुत मन करता है की मैं इस पेड़ की सबसे ऊंची डाली पर जाकर बैठूं, लेकिन मुझमे इतनी ताकत नहीं है की मैं उड़ सकूं.'' इसपर बैल बोला, ''मेरा कहना मानो तो तुम अगर मेरा चारा खाओ तो तुममें ताकत आ जायेगी, क्यों की इसमें बहुत पौष्टिक तत्व हैं.'' टर्की ने कुछ सोचा और फिर कुछ चारा खाया और उसे कुछ ताकत महसूस हुई तो फिर वह पेड़ की नीचे वाली टहनी पर जाकर बैठ गयी. अगले दिन उसने थोड़ा और चारा खाया तो और ताकत आई और वह पिछली वाली टहनी से भी ऊंची एक टहनी पर जाकर बैठ गयी. इस तरह रोज-रोज चारा खाकर उसमें इतनी ताकत आ गयी की पंद्रह दिन बाद वह पेड़ की एक सबसे ऊंची शाखा पर जा बैठी. और ठाठ से बैठ कर गर्वित होते हुये इधर-उधर देखने लगी. इतने में एक शिकारी उधर से गुज़रा बन्दूक हाथ में लिये हुये और तुंरत ही उसने टर्की पर गोली चला दी. टर्की छटपटाकर नीचे आ गिरी और मर गयी.
इस कहानी का भी अभिप्राय यह है बच्चों की किसी के कहने पर किसी तरह कहीं पहुँच भी गये तो कितनी देर टिक पाओगे वहां पर. इस बात पर भी गौर करना चाहिये. टर्की ऊपर पहुँच तो गयी पेड़ पर लेकिन शिकारी के हाथों से न बच सकी. है ना?
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5 पाठकों का कहना है :
सुंदर कथा।
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दुर्गा पूजा एवं दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं।
( Treasurer-S. T. )
बहुत सुन्दर कथा और सुन्दर सन्देश्
सुंदर तस्वीर ,प्रेरणाप्रद कहानी.बधाई .
bahut achchi v prernadaayak kahaani
एक अच्छी शिक्षाप्रद कहानी के लिए आपको बधाई.
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