हँसना मना है
एक बार एक तोते को खरीदने एक पंडित गया था .उसने सुना था कि एक अनूठा तोता आया है .वो तोते वाले की दुकान पर पहुँचा ,दुकानदार ने बताया कि यह गायत्री मंत्र बोलता है ,नमोकार मंत्र बोलता है ,बड़ा शुद्ध उसका उच्चारण था .उसने दुकानदार से पूछा कि क्या इशारे से यह गायत्री मंत्र बोलेगा ?तो दुकानदार ने कहा :आप देखते हैं ,इसके बाएँ पैर में छोटा सा धागा लटका हुआ है वह किसी और को दिखाई नही पड़ता ,पतला सा धागा ,कला सा धागा ,बस आप जरा सा खीच देंगे तो यह गायत्री मन्त्र बोल देगा और अगर नमोकार मन्त्र सुनना हो ,तो दायें पैर का धागा खीच देना ,किसी को पता भी नही चलेगा आर वो उसी क्षण नमोकार मन्त्र बोल देगा .पंडित ने पूछा :और अगर ये दोनों धागे एक साथ खीच दे तो :तो तोता बोला ,अबे गधे !दोनों एक साथ खीचोगे तो मै नही गिर जाऊँगा
साभार
(ओशो टाईम्स )
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7 पाठकों का कहना है :
हा हा हा ....
नीलम जी,
आपने "हँसना मना है" लिखा है, पर हमें तो हंसी आ ही गयी ....
बिचारे पंडित जी.......!!!
क्या करे ?अरे हंसी आ गयी ! पंडित का पोपट बन गया .हा हा हा .................
अच्छा हुआ की तोते को यह भी कहना सिखा दिया गया था: 'अबे गधे ! दोनों एक साथ खीचोगे तो मै गिर नहीं जाऊँगा'.
...वरना....उसकी टाँगें टूट जाने पर तो वह बिचारा दोनों ही मन्त्र भूल जाता...ही..ही...नीलम जी हंसी पर तो अपना कण्ट्रोल .....सॉरी....मेरा मतलब है की जोर नहीं है.
SACH MEIN HANSEE AA GAYEE ......
kya baat hai , tota to baht hi hazir -zawaab hai ! warna aaj kal ke tote to bassssssssssssssss!!
sach mein hame baht accha laga !
bahut si badhayee
pakhi
क्या बात है नीलम जी.,,हँसे बिना रहा ही नहीं गया..हा ..हा..हा,,हा,,हाँ एक बात और कहना चाहती हूँ आपसे ..अब नई कक्षा लगाइए पहेलियों की ..अब तो कुछ नए बच्चे भी आ गए है कक्षा में,,,
हा हा हा
वाह वाह वाह
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