चिड़िया रानी
चिड़िया रानी, बड़ी सयानी,
खाती है बस दाना-पानी,
चुपके से है आ जाती,
दाना चुगती, फुर्र उड़ जाती।
छोटा सा तो पेट है इसका,
सिर, पर, पैर भी छोटे से,
ज्यादा भूख नही लगती है,
होती गुजर है थोड़े से।
चुपके से ये बैठे आ कर,
दाने की बस ताक में रहती,
इक-इक दाना मुँह में डाले,
फुदक-फुदक है कूदा करती।
तिनका-तिनका करे जमा ये,
बनता घोंसला तब है जा कर,
देखो कितनी मेहनत करती,
थोड़ा सा ही दाना खा कर।
अंडों से बच्चे जब निकलें,
उनके लिये बचा कर रखती,
पेट भरे थोड़ा सा अपना,
बच्चों का है पेट भी भरती।
करे कभी न तंग किसी को,
अपने काम में रहे मगन ये,
चिड़िया की भाँति तुम बच्चो,
सभी काम तुम करो लगन से।
--डॉ॰ अनिल चड्डा
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3 पाठकों का कहना है :
करे कभी न तंग किसी को,
अपने काम में रहे मगन ये,
चिड़िया की भाँति तुम बच्चो,
सभी काम तुम करो लगन से।
prakriti se seekh deti hui achchi kavita .
चिडिया की लगन की सीख हर किसी के लिए प्रेरणाप्रद है
चड्डा जी एक बार फिर अच्छी कविता के लिए बधाई. कविता का अंत अच्छा लगा
करे कभी न तंग किसी को,
अपने काम में रहे मगन ये,
चिड़िया की भाँति तुम बच्चो,
सभी काम तुम करो लगन से।
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