शरद तैलंग की बाल कविताएँ उन्हीं की आवाज़ में
बच्चो,
आज रविवार-विशेष में हम आपके लिए लेकर आये हैं शरद तैलंग की तीन कविताएँ। तीनों को आप पढ़ भी सकते हैं और सुन भी सकते हैं।
(1) मेरी कितनी माताएं हैं?
माँ मुझको इक बात बताओ,
मेरी कितनी माताएं हैं?
तुम कहतीं भारत माता है,
सब कहते धरती भी माता,
गैया को भी समझें मैया,
देवी लक्ष्मी भी हैं माता।
सीता मैया, माँ अनुसुइया,
दुर्गा माता सिंह वाहिनी,
करुणामयी मदर टेरेसा,
माँ सरस्वती विद्या दायिनी।
माँ मुझको यह भेद बताओ,
मेरी कितनी माताएं हैं?
माँ बोली - सुन मेरे बेटे!
अपने बच्चों पर जिसने भी,
खुद दु:ख सह कर प्यार लुटाया,
पुत्र समान सभी भक्तों को,
जीवन का इक पाठ पढ़ाया,
सत्य अहिंसा की राहों पर,
जिसने चलना है सिखलाया,
दीन दुखी की सेवा करना,
अपने बच्चों को बतलाया-
वे सब तेरी माताएं हैं,
वे सब तेरी माताएं हैं।
(2) गधे की समस्या
दु:ख से पीडित गधा एक दिन,
पहुँचा ब्रह्मा जी के पास,
मुँह लटका कर खड़ा हो गया,
चेहरा भी था बहुत उदास।
बोला- जग में जो मूरख हैं,
कामचोर या हैं अज्ञान,
गधा उन्हें सब कहते हैं प्रभु!
यह तो मेरा है अपमान।
या तो मेरा नाम बदल दें
या फिर दे दें उन्हें सज़ा,
उनकी इस औछी हरकत पर,
आप चखा दें उन्हें मज़ा।
ब्रह्मा जी बोले - ऐसे जन,
इस धरती पर होते भार,
सच्ची मेहनत करने वालों
को जो समझें निपट गंवार।
नाम वाम में क्या रक्खा है,
यदि हों जिसके अच्छे काम,
इस जग में उस प्राणी का ही,
सबसे ऊँचा होता नाम।
(3) हे प्रभु कर दो यह उपकार!
एक दिवस सारे पशु पक्षी पहुँचे अपने राजा पास,
शेर ने उनके चेहरे देखे मुर्झाए थे और उदास।
सबसे पहले हाथी ने कागज़ का एक पुलिन्दा खोला,
फिर राजा के सम्मुख रख कर भरे गले से यूं कुछ बोला-
इंसानों के अत्याचारों के विरोध में मांग हमारी,
हमको भी अपने बचाव की करनी होगी कुछ तैयारी।
इसीलिए हम सब आए हैं इसी बात को देने तूल,
जंगल में भी हम निरीह पशुओं के लिए खुले स्कूल।
हमें सिखाया जाए बचना आग उगलती गोली से,
कैसे करें सामना हम सब किसी शिकारी टोली से।
उन सब की बातों को सुनकर शेर तनिक गम्भीर हुआ,
मन ही मन कुछ लगा सोचने किंचित नहीं अधीर हुआ।
कहा शेर ने- साथी ! यह संकट तब तक न होगा हल,
जब तक मानव के दिल से हिंसा की बात न जाए टल।
आओ हम सब करें प्रार्थना - हे प्रभु ! कर दो यह उपकार,
मानव के दिल में उपजा दो, पशुओं के प्रति असीम प्यार।
---शरद तैलंग
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6 पाठकों का कहना है :
शरद जी की मधुर आवाज में बेमिसाल -विलक्षण बाल कविताएँ एक से बढ़ कर एक लगीं .बधाई .
sharad ji,
teeno ko teeno kavitayen kamaal ki lagi aur aapki aawaaz ki to baat kya kahein bas mugdh ho gaye hain ji ham..
bahut bahut bahut badhiya..
badhai..
शरद जी ,
आपका बाल उद्यान पर बहुत -बहुत स्वागत है ,बहुत अच्छी कवितायें ,सुन्दर ढंग से बच्चों और हम सभी को सुनवाने के लिए धन्यवाद .
शरद जी द्वारा लिखित सभी रचनायें अत्यन्त सुन्दर व भावपूर्ण लगीं .उस पर उनकि आवाज के जादू ने चार चाँद लगा दिये.
शरदजी, बहुत सुन्दर कविताएँ ।
शरद जी आवाज़ बहुत ही सुरीली है और कवितायेँ भी शानदार है.
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