कोयल (आवाज़ के साथ पुनःप्रकाशित)
तान सुरीली कोयल की है ।
बोली मीठी कोयल की है ॥
अमिया पर जब कुहुक सुनाए,
सबके दिल में खुशी जगाए,
कुहुक कुहुक कर कोयल कूदे
बात निराली कोयल की है ।
धरती पर हरियाली छाये,
कोयल की बोली मन भाये,
वन अपवन में उड़ती फिरती
अदा निराली कोयल की है ।
दिखती तो है बिलकुल काली,
लेकिन लगती भोली भाली,
सबके मन को भा जाती है
बात सुहानी कोयल की है ।
अपनी मस्ती में रहती है,
परवाह नही कुछ करती है,
अपने अण्डे कौवे को दे
चालाकी यह कोयल की है ।
बुरा नही सब काला होता,
अंदर बाहर एक न होता,
जब भी बोलो मीठा बोलो
बोली जैसी कोयल की है ।
कवि कुलवंत सिंह
इस कविता को नीलम मिश्रा ने आवाज़ भी दी है, यहाँ सुनें-
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
11 पाठकों का कहना है :
aapki aawaz bahut meethi hai , koyal ki tarah , hame bahut acchi lagi
neelam aunty , mujhe aapki aawaz bahut aachi lagi , asha hai aap aisi kavitaien sunaye.
नीलम जी आपकी आवाज़ तो हम पूरा प्रयास करने पर भी नहीं सुन पाए |
यह समस्या मेरे साथ है या सबके साथ कृपया चैक कीजिए |
Kulwant ji ki kavitayen bahut man ko bhaati hai
ye meethi kavita Nelaam ji ki aawaj main bahut meethi ho gayi
Badhyi kulwant ji aur neelam ji ko itni sunder lekhan aur prastuti ke liye
seema ji,
hum sab log to sun paa rahe hain ,pata nahi ,shaayad shailesh khuch madad kar paayen is takneeki khaami ke liye
कुलवंत जी के शब्द और नीलम दें आवाज ।
मानो मीठी गोलिया, शहद सनी हों आज ॥
शहद सनी हों आज मेरा मन उत्सुक इतना ।
इच्छा प्रबल होये चखें हम इनको जितना ॥
किस विधि हम तारीफ करें हो गये अब निःशब्द ।
नीलम दें आवाज और कुलवंत जी के शब्द ॥
नीलम जी आपकी आवाज़ बहुत मीठी है ...बिल्कुल कोयल की तरह
यह एक आम समस्या हो गई है। जिनके कम्प्यूटर सिस्टम में फ्लैश प्लेयर का नया वर्जन नहीं होता, वे नहीं सुन पाते। मैं जल्द ही इसपर एक ट्यूटोरियल लिखूँगा। आप तब तक के लिए फ्लैश प्लेयर का प्लग-इन यहाँ से डाउनलोड करें और संस्थापित कर लें। फिर ब्राउजर को दुबारा शुरू करें, आपका काम हो जाना चाहिए।
जितनी मधुर रचना कवि कुलवंत जी ने की है वैसी ही मधुर वाणी में नीलम जी ने हमें यह कविता सुनाई है. दोनों को बहुत बहुत बधाई.
पूजा अनिल
sweet voice......
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)