चंदामामा
चंदा रहते हो किस देश ।
लगते हो तुम सदा विशेष ।
रहते हो तुम भले ही दूर ।
मुख पर रहता हर पल नूर ।
दिखते हो तुम शीतल शांत ।
सागर हो तुम्हे देख अशांत ।
बने सलोनी तुमसे रात ।
करते हैं सब तुमसे बात ।
घटते बढ़ते हो दिन रात ।
समझ न आये हमको बात ।
कभी चमकते बन कर थाल ।
गायब हो कर करो कमाल ।
शीतलता का देते दान ।
नही चाँदनी का उपमान ।
तारों को है तुमसे प्रीत ।
रात बिताते बन कर मीत ।
धवल चांदनी का आभास ।
मन में भरे हर्ष उल्लास ।
करवा चौथ भले हो ईद ।
देख तुम्हे मनते यह तीज ।
पूरा छिप जाते जिस रात ।
बन जाती वह काली रात ।
थकते नही तुम्हारे अंग ।
घूम घूम कर धरती संग ।
चंदा रहते हो किस देश ।
लगते हो तुम सदा विशेष ।
कवि कुलवंत सिंह

आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं।
क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों?
अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए।
तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया।
आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में।
एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं।
पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।
बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
3 पाठकों का कहना है :
यह बाल कविता पढ़ बचपन लौट आया
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
कवि जी बहुत हे प्यारी कविता है , इसे पढकर तो गाने को मन कर रहा है |
बंधु! मजा आ गया, इस रसमय रचना के लिए बहुत-बहुत बधाई. एक-एक शब्द चुन-चुनकर आपने समूचा बिम्ब जीवंत कर दिया.
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)