प्रतिष्ठा शर्मा की चित्रमय कहानी
बच्चों,
आज आपकी सुनीता दीदी किसी कार्य में व्यस्त हो गई हैं मगर आप निराश न हों। आपके लिये प्रतिष्ठा जी एक मन मोह लेने वाली खूबसूरत कहानी लेकर आयी है, वो भी आपके पसंदीदा रंग-बिरंगे चित्रों के साथ -
एक बार पहाड़ों के बीच एक बंदरिया रहती थी। उसका नाम मीनी था।
उसे बालों में रिबिन लगाने का बहुत शौक था। एक दिन वो रिबिन खरीदने बाज़ार गई।
वहाँ तरह-तरह के रिबिन थे। उसे चुहिया और तारा मछली वाले रिबिन ज्यादा पसंद आए।
उसने पैसे दिये और कुछ रिबिन खरीद लिये।
उसे अपने रिबिन से बहुत प्यार था। वो उन्हें हमेशा अपने साथ रखती।
एक दिन वो नदी के पास खेलने गई।
अचानक उसने किसी के चिल्लाने की आवाज़ सुनी।
नदी में दो अज़गर फँस गये थे।
उन्हें बचाने के लिये मीनी को एक आईडिया आया।
उसने जल्दी से सारे रिबिन जोडे और अपनी पूरी ताकत से ( ये ताकत उसे हरी सब्जियां और फल खाने से आई थी ) अज़गर की तरफ फेंके ।
रिबिन के पुल की मदद से अज़गर पानी के बाहर आ गये ।
लेकिन तभी रिबिन का पुल टूट गया और सारे रिबिन पानी मे बह गये । ये देख मीनी बहुत उदास हो गई।
तब अज़गरों के राजा ने मीनी को बुलाया और अज़गरों की जान बचाने के लिये उसे बहुत सारे नये रिबिन दिये और ईनाम भी दिया।
- प्रतिष्ठा शर्मा
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27 पाठकों का कहना है :
बहुत खुब
काहानी अच्छी है और साथ मे छवि भी।
अति सुन्दर कहानी,साथ ही साथ ज्ञान वर्धक भी
बहुत सुन्दर! सराहनीय कार्य! हार्दिक शुभकामनाये!!
सुन्दर और ज्ञानवर्धक कहानी बनी है, चित्रो की वजह से ज्यादा मजा आया :)
बहुत सुंदर कहानी,और चित्र उस से भी ज्यादा सुंदर है मज़ा आया इसको पढ़ के
सुंदर चित्र और कहानी.
बहुत बहुत शुभकामनाये!!
प्रतिष्ठा जी!
कहानी और चित्र दोनों ही बहुत सुंदर हैं. बधाई!
वाह!
बहुत ही मजेदार, चित्रों से कहानी और भी खूबसूरत हो गई है।
एक अच्छी शिक्षाप्रद कहानी के लिये बधाई स्वीकार करें!
प्रतिष्ठा जी
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
आपको बाल उधान मे जरूर आना चाहिये।
इतनी अच्छी रचना के लिये बहुत बहुत बधाई।
बच्चो को आपसे काफी कुछ सीखने को मिलेगा।
Bahut Khub, Kahani Se Bachho ka utsah badhega aur siksha bhi milegi. Badhai Ho Pratishtha Ji
Ashok Maheshwari
प्रतिष्ठा जी,
चित्रों के साथ एक प्यारी और शिक्षाप्रद कहानी प्रस्तुत करने के लिये बधाई स्वीकारें,
विपत्ती में फसे हुये किसी की भी मदद करने का सन्देश बच्चों का मूल्यवर्धन करेगा..
प्रतिष्ठा जी,
बहुत अच्छी, चित्रमयी और शिक्षाप्रद कहानी है। सच कहूँ तो मुझे अपने चंपक पढ़ने वाले दिन याद आ गए।
वैसे जब भी बाल-उद्यान पर आता हूं, ऐसा ही होता है।
बहुत बधाई।
प्रतिष्ठा जी, चित्रों का उपयोग बेहद हीं रूचिकर है। साथ-ही-साथ कहानी भी शिक्षाप्रद है। बच्चों को जरूर भाएगी।
बधाई स्वीकारें।
प्रतिष्ठा जी,
आपकी इस प्रस्तुति नें बाल-उद्यान मंच की प्रतिष्ठा बढा दी है। चित्रों की जितनी प्रसंशा की जाये वह कम है साथ ही साथ आपने जो कहानी इन चित्रों के परोक्ष में बुनी है वह भी शिक्षाप्रद है।
प्रतिष्ठा जी, बाल उद्यान मंच का निर्माण ही बच्चों को संस्कारित करने की सामग्री प्रदान कर पाने के उद्देश्य से हुआ है। आपका बहुत आभार।
*** राजीव रंजन प्रसाद
बहुत सुन्दर कहानी और उससे ज्यादा अच्छे चित्र। बधाई स्वीकार करें प्रतिष्ठा जी।
www.nahar.wordpress.com
वाह दीदी मज़ा आ गया।
Thank you Akshay. मै यही सोच रही थी जिनके लिये कहानी लिखी उनका कोई comment नहीं आया | But you made my day. वैसे ये मेरी पहली कहानी थी सबको पंसद आई इसके लिए सभी का धन्यवाद|
प्रतिष्ठा जी,
बाल-उद्यान को इस प्रकार की सामग्रियों की बहुत आवश्यकता है। आप उम्मीद हैं। जल्द ही आपकी चित्रामत्क कहानियों से हमारा यह उद्यान महकने वाला है।
उसने जल्दी से सारे रिबिन जोडे और अपनी पूरी ताकत से ( ये ताकत उसे हरी सब्जियां और फल खाने से आई थी )
बहुत अच्छे कहानी कहानी मे सीख भी , बच्चे तो बच्चे बडों को भी भा गई आपकी कहानी
सुन्दर सी कहानी के साथ प्यारे प्यारे चित्र देख कर मजा ही आ गया। बहुत बहुत बधाई।
चित्रों ने कहानी को और भी मज़ेदार बना दिया ।
सीमा कुमार
सुन्दर कहानी साथ ही सुन्दर चित्र जो कहानी को और अधिक प्रभावशाली बनाते हैं.. अवश्य ही बच्चों को बहुत पसन्द आयेगी.
सुन्दर व शिक्षा प्रद लगी आपकी कहानी प्रतिष्ठा...
चित्र भी आकर्षक है...:)
शानू
प्रतिष्ठा जी!
बहुत सुन्दर काहानी
सुन्दर चित्र :)
बधाई!
wow! a good story for childrens. all the best and please do wright like this always. we will wait.
harsha dad.
ji ye kahani bhut hi achhi hain.
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