काश अगर ऐसा होता
बच्चो,
आज हम लाये हैं भूपेन्द्र राघव अंकल की एक कविता 'काश अगर ऐसा होता'। उम्मीद करते हैं कि तुमलोगों को पसंद आयेगी।
काश अगर ऐसा होता
तारों से लटकते गुब्बारे,
पीजा-बर्गर पेड़ पर लगते
चाकलेट हर गुरुद्वारे।
मंदिर-मंदिर टॉफी बँटती
और मार्वल का प्रसाद,
चरणामृत की जगह पर मिलती
कोक पेप्सी उसके बाद।
तो, बच्चे खुश होते सारे
काश अगर ऐसा होता
तारों से लटकते ...........
चौराहों कि रेड लाइट पर
होते वीडियो गेम लगे,
फ्री में मिलते हर नुक्कड़ पर
ब्रेड और बिस्कुट जेम लगे ।
नयी नयी रिमोट की गाड़ी
सुपर मेन लाकर देता,
चाहे इसके बदले में कुछ
चुविं-गम हमसे ले लेता ।
तो, क्या दिन होते हमारे ?
काश अगर ऐसा होता
तारों से लटकते .......
सेंटा बाबा रोज-रोज ही
नए-नए देते उपहार,
केक से भरकर सारा दिन हम
ख़ूब चलाते अपनी कार ।
"बुढ़िया के बालों" के बदल
आसमान में मंडराते,
फिर तोड़-तोड़ कर हम खाते
तो, पैसे बच जाते सारे ।
काश अगर ऐसा होता
तारों से लटकते ..........
भूपेन्द्र राघव

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8 पाठकों का कहना है :
बहुत बढ़िया ! इनमें से कुछ चीजें तो हम भी तोड़ लाते ।
घुढूती बासूती
यद्यपि आपकी कविता बच्चों को भारतीय मूल्यों के प्रति जागरूक नहीं करती बल्कि वर्तमान में हावी बाज़ारवाद को ही महिमामंडित करती है। फ़िर भी बच्चों को आह्लादित तो करेगी ही। अगली बाल-रचना का इंतज़ार रहेगा।
भूपेन्द्र जी,
कविता और आपके दिखाये स्वप्न बच्चों को बहुत प्रिय होंगे, यह तो तय है। बहुत ही अच्छी कविता..
तथापि बच्चों को पीजा-बर्गर, कोक-पेप्सी की संस्कृति से परे ले जाने की आवश्यकता है।
*** राजीव रंजन प्रसाद
सुंदर है यह रचना :)
धन्यवाद मित्रो, उम्मीद है मार्गदर्शन मिलता रहेगा. और आपके स्नेह का सदैव अभिलाषी रहूँगा..
जय हिन्द - जय हिन्दी
-राघव
भूपेन्द्र जी
अच्छी कविता। नये और पूराने स्वप्न का अच्छा ताल-मेल कविता और आपके दिखाये स्वप्न बच्चों को बहुत प्रिय होंगे।
परंतु राजीव जी की बात "बच्चों को पीजा-बर्गर, कोक-पेप्सी की संस्कृति से परे ले जाने की आवश्यकता है।" से मै भी सहमत हु।
जी रचना जी, यह कविता मात्र बच्चों को आनन्दित और उनके होठों पर मुस्कान बखेरने हेतु थी.
आगे से कोशिश रहेगी कि बच्चों को उनका टेस्ट भी मिले और मूल्यों को चोट भी न पहुँचे..
आप सभी का आभारी हूँ
राघव जी
अच्छी कल्पना है , किन्तु बस कल्पना की दृष्टि से ही प्रशंसा हो सकती है ।
केवल मनोरंजन न कवि का धर्म होना चाहिए ।
उसमें उचित उपदेश का भी मर्म होना चाहिए ।
भविष्य में इन पंक्तियों को भी ध्यान रखें । शुभकामनाओं सहित
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