Friday, January 30, 2009

बापू के तीन बन्दर

मोहन दास कर्म चन्द गान्धी
दिलाई हमें जिसने आजादी
दिए उन्होंने नेक विचार
बांटो सब आपस मे प्यार
तीन बन्दरों का सुनो सन्देश
नही होगा फिर कभी क्लेष

देखो अब यह पहला बन्दर
उंगलियां डाली कान के अन्दर
बुराई किसी की कभी न सुनना
जो विरोध न जानो करना

आँखों को हाथों से छुपाया
दूसरे बन्दर ने बताया
देखो न कभी कोई बुराई
जो न कर सको अच्छाई

तीसरा मुँह पर उंगली रखकर
देता है सन्देश यह आकर
बुरी बात कोई कभी न बोलो
सोच समझ कर ही मुँह खोलो

जो इन पर हम करें विचार
बांट सकेन्गे हम भी प्यार
आओ इन्हें हम भी अपनाएं
जीवन को सुखमय बनायें

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5 पाठकों का कहना है :

Anonymous का कहना है कि -

बहुत अच्छी..

संगीता पुरी का कहना है कि -

अच्‍छा है....

manu का कहना है कि -

सीमा जी,
इन बंदरों से तो मैं कल मिल चुका हूँ........ये तो ..वोइच बन्दर हैं ना..?
अब नीलम जी आअकर ये ना कहें के देखा क्या खूब पहचाना....
अपने बंधुओं को.....

neelam का कहना है कि -

मनु जी ,
सीमा जी से गलती हो गई है ,जब आप अकेले ही काफ़ी हैं तो इन तीनो को यहाँ लगाने की जरूरत थी क्या ???????????????????????
हमने तो बचपन में गाना सुना था न देख बुरा ,न सुन बुरा ,न बोल बुरा
हम तो बोलेंगे ,आप पहले वाले बन्दर बन जाईये प्लीज ,इन बंदरों की टोपी कहाँ है ,देखिये लालच बुरी बला है

manu का कहना है कि -

क्या सीमा जी,
आपके यहाँ कमेन्ट करने आ जाते हैं और देखिय ...क्या गत बनाई जाती है अपनी......

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