देश हमारा
गाएँगे हम गाएँगे !
गीत देश के गाएँगे !!
इसकी माटी तिलक हमारा,
देवलोक सा भारत प्यारा,
कण-कण जिसका लगता प्यारा,
नही किसी से जग में हारा,
जग में मान बढ़ाएँगे !
गीत देश के गाएँगे !!
बहे प्रीत की अविरल धारा,
भक्ति से संसार संवारा,
मानवता का बना सहारा,
तीन लोक में सबसे न्यारा,
दिल में सदा बसाएँगे !
गीत देश के गाएँगे !!
आँख उठा कर जिसने देखा,
यँ फिर छेड़ी सीमा रेखा,
नही करेंगे अब अनदेखा,
पूरा कर देंगे हम लेखा,
घर घर खुशियाँ लाएँगे !
गीत देश के गाएँगे !!
कवि कुलवंत सिंह

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पाठक का कहना है :
गाएँगे हम गाएँगे !
गीत देश के गाएँगे !!
इसकी माटी तिलक हमारा,
देवलोक सा भारत प्यारा,
कण-कण जिसका लगता प्यारा,
नही किसी से जग में हारा,
थैंक यू जी ,कुलवंत अंकल जी
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