Friday, January 16, 2009

देश हमारा

गाएँगे हम गाएँगे !
गीत देश के गाएँगे !!

इसकी माटी तिलक हमारा,
देवलोक सा भारत प्यारा,
कण-कण जिसका लगता प्यारा,
नही किसी से जग में हारा,

जग में मान बढ़ाएँगे !
गीत देश के गाएँगे !!

बहे प्रीत की अविरल धारा,
भक्ति से संसार संवारा,
मानवता का बना सहारा,
तीन लोक में सबसे न्यारा,

दिल में सदा बसाएँगे !
गीत देश के गाएँगे !!

आँख उठा कर जिसने देखा,
यँ फिर छेड़ी सीमा रेखा,
नही करेंगे अब अनदेखा,
पूरा कर देंगे हम लेखा,

घर घर खुशियाँ लाएँगे !
गीत देश के गाएँगे !!

कवि कुलवंत सिंह


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पाठक का कहना है :

neelam का कहना है कि -

गाएँगे हम गाएँगे !
गीत देश के गाएँगे !!

इसकी माटी तिलक हमारा,
देवलोक सा भारत प्यारा,
कण-कण जिसका लगता प्यारा,
नही किसी से जग में हारा,

थैंक यू जी ,कुलवंत अंकल जी

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