आओ होली मनाये
बच्चो, होली मना रहे हो न। आपकी रचना आंटी यह कविता और नीलम आंटी ने इसकी रिकॉर्डिंग हिन्द-युग्म को बहुत पहले ही भेज दी थी, लेकिन हम सभी होली की तैयारियों में आपकी तरह व्यस्त थे, इसलिए उनका संदेश आपको देर से पहुँचा रहे हैं। पढ़ो और सुनो भी॰॰॰
है होली की पूर्व संध्या
आओ ये शपथ उठायें
इस अग्नि में जलाएं
अपनी कलुषित भावनाएं
आओ होली मनाये
बने पूर्ण मनुष्य हम
सच कहें सच से न डरे हम
परहित का दीप जलाएं
आओ होली मनाएं
होलिका जली प्रह्लाद बचा
अच्छाई का बिगुल बजा
प्रेम का परचम घर घर फैलाएं
आओ होली मनाये
स्वयं के लिए जिए तो क्या जिए
दर्द औरों का न लिए तो क्या लिए
सब के मंगल की करें कामनाएं
आओ होली मनाये
हम बच्चे बड़ों से प्रार्थना करें
अपनी खुशियों में औरों का ध्यान धरें
होली की कुछ कुरीतियों को न अपनाये
आओ होली मनाएं
नीचे के प्लेयर से यही कविता नीलम आंटी की आवाज़ में सुनिए-
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5 पाठकों का कहना है :
रचना आंटी की कविता,,,,,,,नीलम आंटी की मधुर आवाज़ में सुन्कर ,,,,,,,
बहुत अच्छा अच्छा लगा,,,,
वेली गुड ,,,
::::---))))
गति-यति का संतुलन भंग पीकर लड़खडानेवाले की तरह होने के बावजूद गायिका ने अद्भुत कौशल के साथ निभाया बधाई
कविता पढने और सुनने मे अच्छी लगी,
सुन्दर कविता के लिए आभार
सुमित भारद्वाज
रचना जी ,
आपकी कविता बहुत ही अच्छा सन्देश दे रही है .
नीलम जी,
आपने बहुत ही सुन्दर गीत की तरह कविता को गाया है .
बधाई
पूजा अनिल
कविता कैसी भी रही हो नीलम जी आप की आवाज में ढल के कुन्दन हो गई
बहुत बहुत धन्यवाद
रचना
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