दीदी की पाती आओ सीखे जादू का मजेदार खेल
नमस्ते ..
अपनी पिछली पाती में मैंने जादू की दुनिया के बारे में बताया था .. मैंने लिखा था कि मैं एक जादू का खेल की जानकारी आपको अपनी अगली पाती में दूंगी ..सो हाज़िर हूँ इस पाती में एक जादू का खेल ले के ..यह जादू गणित से जुडा है और बहुत ही मजेदार है ..यदि आप सब ने इसको ध्यान से सीख लिया तो सब आपके दिमाग का लोहा मान जायेंगे :) अक्सर कई जादूगर कहते हैं कि तुम मुझे अपने जन्म दिन बताओ मैं तुम्हे बता दूंगा कि उस दिन कौन सा दिन था क्यूंकि मेरे दिमाग में कंप्यूटर लगा है और जब मैं कहूँ इसको तो यह आपके जन्मदिन का वर्ष माह और दिन की सूचना दे देता है ..अब यह सुन के कोई भी दर्शक उसको अपने जन्मदिन की सारी जानकारी देता है और जादूगर उसको एक कागज़ पर लिख कर अपने सिर के ऊपर रख लेता है फ़िर वह देखने वालों से कहता है कि सारी जानकारी उसके दिमाग में जो क्प्म्पुटर है उस में फीड हो रही है अभी कुछ देर में आपके जन्मदिन का वार पता चल जायेगा . और कुछ मन्त्र बुदबुदाता है ..कुछ कुछ वैसा ही जैसा मैंने पिछली बार बताया था ..याद आया आपको हाँ एबरा का देब्रा:) और फ़िर वह आपको आपके जन्मदिन के वार यानी दिन के बारे में बता देता है ..है न गजब .पर इस में कुछ गजब नही है ...मैं आपको बताती हूँ कैसे करना है आपको यह अपने दोस्तों के सामने ..
रहस्य यह इस में कि ..मान लो किसी ने आपको अपनी जन्म दिन की तारिख २९-६१९५४ बताई अब आपको यह करना है कि
१) वर्ष की अन्तिम दो संख्या लिखे ..५४
२) अब इसको ४ से भाग कर दे शेष बचे को भूल जाए -१३
३ ) अब जो यह संख्या आपक मिली भगा करने से इस में जन्मवर्ष जोड़े ..-५४+१३ =६७
४) अब इस संख्या को उसने अपने जन्मदिन का महीना मई बताया है यानी कि ५ तो
अब ६७ में ५ को जोड़े यानी कि ६७+५= ७२
अब इस नें जन्मदिन का दिन जोड़े यानी कि २९ -७२ +२९ =१०१
अब इसको ७ से भाग कर दे
यानी की १०१ को ७ से भाग कर उत्तर आया १४ और शेष बचा ३
अब ३ दिन सप्ताह का बनता है मंगलवार
इसका मतलब २९-५ १९५४ को मंगलवार था
है न आसान ...इस तरह आप सबको हैरान कर सकते हैं ..चलो अभी चलती हूँ ..फ़िर मिलंगे और नई बातो के साथ
अपना ध्यान रखे
आपकी दीदी
रंजू
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
9 पाठकों का कहना है :
रंजू जी कमाल कर दिया आपने ,बच्चो ने ही नही हमने भी जादू सीख लिया ,चलो जल्दी से अपनी जन्मतिथि बताओ :))...सीमा सचदेव
बहुत अच्छे रंजू जी
आलोक सिंह "साहिल"
ह्म्म्म्म बढिया एब्रा का डेब्रा .. चल रहा है..
हिन्द युग्म पर जादूगर-जादूगरनियां भी है..
मै तभी तो कहूँ कि मेरे कम्प्यूटर से कभी कभी आइकोंनस गायब क्यूँ हो जाते है.. अच्छा बच्चू.. तो आप हैं...
रंजू जी ...! वाह क्या जादू कर डाला आपने !मुझे गायब मत कर देना :-)
सुनीता यादव
रंजू जी ,
इतने सरल तरीके से जादू सिखाया कि हम सब एकदम सीख गए , आपका बहुत बहुत धन्यवाद
^^पूजा अनिल
रंजू जी,
वाह, ये तो बहुत मजेदार जादू सिखाया है आपने.
बहुत बढ़िया.
अच्छा जादू है। मजा आ गया।
शायद आपने इस फॉर्मुले की सत्यता नहीं जांची, अन्यथा इस तरह की गलती नही होती. २९-५ १९५४ को मंगलवार नही, बल्कि शनिवार था. कृपया गणना करके देखें.
शायद आपने इस फॉर्मुले की सत्यता नहीं जांची, अन्यथा इस तरह की गलती नही होती. २९-५ १९५४ को मंगलवार नही, बल्कि शनिवार था. इस बारे मे मैने अपनी टिप्प्णी 3 जून को लिखी थी. लेकिन लगता है आप इन टिप्पणियों पर ध्यान ही नही देते हो.
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)