गाय
गाय बड़ी उपकारी है
सब जीवों से न्यारी है
इसकी तुलना नहीं किसी से
सब पर ममता वारी है
ये देवों की भी माता है
हम सबकी जीवन दाता है
रोगों को ये दूर भगाये
बच्चों को बलवान बनाये
हम सब इसके आभारी हैं
तन भी अर्पण दूध भी अर्पण
लाल भी अर्पण श्रम भी अर्पण
रोम रोम सृष्टि को अर्पण
इसकी पूजा सबसे बढ़कर
कहती दुनिया सारी है
खाती सूखा घास पात ये
दूध दही के भंडार भरे
माँ समान स्नेह लुटाये
सब जग का कल्याण करे
गिनती उपकारों की भारी है
गाय बड़ी उपकारी है
सुषमा गर्ग
13.5.2008
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5 पाठकों का कहना है :
बेहद खूबसूरत रचना बधाई
बेहतरीन रचना सुषमा जी, बहुत अच्छी और गाय माता का बखान करती आपकी रचना एक दम गाय के समान ही न्यारी लगी..
खूबसूरत रचना है यह सुषमा जी
गाय के बारे में आप ने बहुत ही सुंदर कविता लिख डाली सुषमा जी ...वाह
सुनीता यादव
सुषमा जी ,
आजकल गाय के बारे में महानगरों के बच्चों को ज्यादा पता नहीं होता है , पहले तो गावों और शहरों में भी गाय देखने को मिल जाती थी किंतु आजकल सब जगह पर गाय के दर्शन नहीं होते, ऐसे में आपकी कविता बहुत जानकारी भरी है, बच्चों को सहज जानकारी देने का धन्यवाद
^^पूजा अनिल
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