छुपन-छुपाई...
आओ डोली बहना
अरे आओ गुड्डू भाई
बादलों में छुपकर
हम बादलों में छुपकर
चलो,खेलें छुपन-छुपाई
आओ .........
दस तक गिनती गुड्डू गिनना
तुम चन्दा के पीछे
पर बेईमानी नहीं चलेगी
रखना आँखें मींचे
हाँ, रखना आँखें मींचे
इसी बात पर हुई थी याद है
पिछली बार लड़ाई...
आओ .........
चुपके चुपके ढूँढ सभी को
तुमको धप्पा करना
कोई नहीं मैं हुआ अकेला
सोच के यह मत डरना
हाँ, सोच के यह मत डरना
हम सब बाहर आ जायेंगे
जो एक आवाज लगाई..
आओ .........
लेकिन बच्चो सुनो गौर से
बादल चिकने चिकने
कदम सँभलकर रखना इनपर
लग जाओ ना फिसलने
समझे, लग जाओ ना फिसलने
कपड़े गन्दे हुए अगर तो
होगी खूब पिटाई
आओ .........
बादल भी खुश होकर देखो
चेहरे लगे बनाने
हाथी शेर मगरमछ बनकर
करतब लगे दिखाने
लो,अभी अभी देखी है
सच,अभी अभी देखी है मैने
बन्दर की परछाई...
आओ .........
देखो कितने सारे तारे
प्यारे दोस्त हमारे
आओ इनका हाथ पकड़कर
बानयें गोल धारे..
कुछ तारों ने मिलकर
देखो देखो, मिलकर कितनी
सुन्दर रेल बनाई
आओ .........
प्यारे सूरज चाँद सितारो
अब हम घर जायेंगे
लेकिन पक्का वादा मित्रो
कल फिर हम आयेंगे..
पक्का, कल फिर हम आयेंगे
अभी हमें करनी है थोडी
घर पर पहुँच पढ़ाई....
आओ डोली बहना
अरे आओ गुड्डू भाई
घर जाने का वक्त हुआ
माँ ने आवाज लगाई....
अरे आओ गुड्डू भाई
बादलों में छुपकर
हम बादलों में छुपकर
चलो,खेलें छुपन-छुपाई
आओ .........
दस तक गिनती गुड्डू गिनना
तुम चन्दा के पीछे
पर बेईमानी नहीं चलेगी
रखना आँखें मींचे
हाँ, रखना आँखें मींचे
इसी बात पर हुई थी याद है
पिछली बार लड़ाई...
आओ .........
चुपके चुपके ढूँढ सभी को
तुमको धप्पा करना
कोई नहीं मैं हुआ अकेला
सोच के यह मत डरना
हाँ, सोच के यह मत डरना
हम सब बाहर आ जायेंगे
जो एक आवाज लगाई..
आओ .........
लेकिन बच्चो सुनो गौर से
बादल चिकने चिकने
कदम सँभलकर रखना इनपर
लग जाओ ना फिसलने
समझे, लग जाओ ना फिसलने
कपड़े गन्दे हुए अगर तो
होगी खूब पिटाई
आओ .........
बादल भी खुश होकर देखो
चेहरे लगे बनाने
हाथी शेर मगरमछ बनकर
करतब लगे दिखाने
लो,अभी अभी देखी है
सच,अभी अभी देखी है मैने
बन्दर की परछाई...
आओ .........
देखो कितने सारे तारे
प्यारे दोस्त हमारे
आओ इनका हाथ पकड़कर
बानयें गोल धारे..
कुछ तारों ने मिलकर
देखो देखो, मिलकर कितनी
सुन्दर रेल बनाई
आओ .........
प्यारे सूरज चाँद सितारो
अब हम घर जायेंगे
लेकिन पक्का वादा मित्रो
कल फिर हम आयेंगे..
पक्का, कल फिर हम आयेंगे
अभी हमें करनी है थोडी
घर पर पहुँच पढ़ाई....
आओ डोली बहना
अरे आओ गुड्डू भाई
घर जाने का वक्त हुआ
माँ ने आवाज लगाई....

आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं।
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कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
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8 पाठकों का कहना है :
बहुत अच्छे राघव जी
क्या छुपम छुपाई खेल रहे हो
मज़ा आ गया कविता पढ़कर
बधाई
बच्चो को कविता जरुर पसंद आएगी
सुंदर बाल कविता लिखी है राघव जी
राघव जी,
बहुत सुंदर, अनोखी, भावप्रवण कविता लिखी है आपने. पढ़्कर फिर से बच्चा बनकर बादलों में छुपन छुपाई खेलने का मन हो गया.
बहुत बहुत बधाई.
अच्छा प्रयास..
raaghav ji chupa-chupaaii ke khel ne apana bachapan yaad dila diya ,sundar rachana.....seema sachdev
राघव जी
बाल साहित्य आप बहुत मन लगा कर रचते हैं
बादल भी खुश होकर देखो
चेहरे लगे बनाने
हाथी शेर मगरमछ बनकर
करतब लगे दिखाने
लो,अभी अभी देखी है
सच,अभी अभी देखी है मैने
बन्दर की परछाई...
आओ .........
बहुत अच्छे।
राघव जी,
बहुत सुंदर कविता .
बधाई.
धन्यवाद राघव जी , छुपन छुपाई का खेल खेलने में हमें भी बड़ा मज़ा आया
प्यारे सूरज चाँद सितारो
अब हम घर जायेंगे
लेकिन पक्का वादा मित्रो
कल फिर हम आयेंगे..
पक्का, कल फिर हम आयेंगे
अभी हमें करनी है थोडी
घर पर पहुँच पढ़ाई....
और राघव जी को बधाई
^^पूजा अनिल
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