बाल-दोहावली-2
प्यारे बच्चो आज फिर से बाल-दोहावली से कुछ दोहे आपके लिये लाया हूँ, पिछली बार
बाल-दोहावली
में आपने जो सीखा था वो कर रहे हो ना...
आओ कुछ और बातें सीखें इस बाल-दोहावली-2 में..
बाल-दोहावली - 2
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ताजी हवा में प्रातः ही सैर करे भरपूर ।
दिनभर रहती ताजगी, आलस भागे दूर ॥
अगर लगी हो चोट तो, राखो नहीं छुपाय ।
घर में जो भी हो बड़ा फौरन देओ बताय ॥
लावारिश कुछ देखकर, हाट पेंठ बाजार ।
मत होना किसी भाँति भी छूने को तैयार ॥
सोना गर हो वक्त पर, हल्का खाना खाय ।
'राघव' पाचन चुस्त हो,निंदिया मीठी आय ॥
'राघव' राहें हो अगर, अनदेखी अनजान ।
कदम रखे से पूर्व ही सोचो कहत सुजान ॥
तेज धूप से धूल से आखों में क्षति जाय ।
नेत्र बड़े अनमोल हैं, 'राघव' रखो बचाय ॥
सड़कें,पार्क,पडोस, या घर,दफतर,स्कूल ।
कचड़ा दे बीमारियाँ, हो ना ऐसी भूल ॥
15-05-2008
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8 पाठकों का कहना है :
Achchha laga dohon ko padh kar. Badhaayi.
भूपेंद्र जी या फ़िर आधुनिक काल के रहीम जी ......बहुत ही अच्छी लगी आपकी ज्ञान-वर्धक और अमूल्य दोहावली.....सीमा सचदेव
बहुत बहुत अच्छे लगे यह दोहे ..आप तो कलयुग के रहीम बन गए :) बहुत खूब
लाजवाब,भूपेंद्र जी
आलोक सिंह "साहिल"
राघव जी,
आपकी सीख भरी दोहावली मन को है बहुत भाई,
बधाई, बधाई, बधाई.
कृपया "भाई" को "भायी" पढ़ें.
धन्यवाद.
सीख "राघव" दद्दा की, बहुत उपयोगी बच्चों,
पढो , विचारो, सोचो और हमेशा याद रखो.
(दद्दा- बड़ा भाई )
बहुत अच्छे राघव जी
^^पूजा अनिल
राघव जी
बालदोहावली बहुत अच्छी लगी-
'राघव' राहें हो अगर, अनदेखी अनजान ।
कदम रखे से पूर्व ही सोचो कहत सुजान
बधाई स्वीकारें।
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