गर्मी की छुट्टियाँ हैं आईं
संजू आओ, रंजू आओ,
अजय-विजय को ले कर आओ,
गर्मी की छुट्टियाँ हैं आईं,
सब को मिल कर खेल खिलाओ,
सुबह-सवेरे सबको उठा के,
नर्म घास पर सैर कराओ,
थोड़ा सा व्यायाम कराओ,
तन को अपने स्वस्थ बनाओ,
लेकिन नहीं घूमना लू में,
औरों को ये पाठ पढ़ाओ,
खेल-खेल कर लेकिन बच्चों,
समय न सारा व्यर्थ गवाँओ,
थोड़ा पढ़ लो, थोड़ा खेलो,
होम-वर्क भी अपना कर लो,
छुट्टियाँ खत्म होने को आती,
चिंता होम-वर्क की खाती,
इसलिये, मेरी मानो बच्चो,
काम समय पर पूरा कर लो,
तो न चिंता व्यर्थ सताये,
टीचर भी होशियार बताये,
मम्मी-पापा खुश हो जायें !
- डा॰ अनिल चड्डा
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7 पाठकों का कहना है :
ek choti si kavita ke maadhayam se aapne kitani saari baate samjha di bachcho ko . bahut achche dr. anil . badhaaii....seema sachdev
अनिल जी
बहुत खूब। कविता के माध्यम से सुन्दर शिक्षा ।
बहुत सुंदर कविता अनिल जी
बेहतरीन अनिल जी
आलोक सिंह "साहिल"
अनिल जी,
गर्मी की छुट्टियों के सही उपयोग की सीख देती बढ़िया कविता.
बढिया चड्डा साब,
कर दिया बच्चों को छुट्टियों में भी बिजी...
अच्छी बाल कविता
आप सभी को कविता पसन्द आने का शुक्रिया
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