Saturday, May 3, 2008

गर्मी की छुट्टियाँ हैं आईं


संजू आओ, रंजू आओ,
अजय-विजय को ले कर आओ,
गर्मी की छुट्टियाँ हैं आईं,
सब को मिल कर खेल खिलाओ,
सुबह-सवेरे सबको उठा के,
नर्म घास पर सैर कराओ,
थोड़ा सा व्यायाम कराओ,
तन को अपने स्वस्थ बनाओ,
लेकिन नहीं घूमना लू में,
औरों को ये पाठ पढ़ाओ,
खेल-खेल कर लेकिन बच्चों,
समय न सारा व्यर्थ गवाँओ,
थोड़ा पढ़ लो, थोड़ा खेलो,
होम-वर्क भी अपना कर लो,
छुट्टियाँ खत्म होने को आती,
चिंता होम-वर्क की खाती,
इसलिये, मेरी मानो बच्चो,
काम समय पर पूरा कर लो,
तो न चिंता व्यर्थ सताये,
टीचर भी होशियार बताये,
मम्मी-पापा खुश हो जायें !

- डा॰ अनिल चड्डा


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7 पाठकों का कहना है :

सीमा सचदेव का कहना है कि -

ek choti si kavita ke maadhayam se aapne kitani saari baate samjha di bachcho ko . bahut achche dr. anil . badhaaii....seema sachdev

शोभा का कहना है कि -

अनिल जी
बहुत खूब। कविता के माध्यम से सुन्दर शिक्षा ।

रंजू भाटिया का कहना है कि -

बहुत सुंदर कविता अनिल जी

Anonymous का कहना है कि -

बेहतरीन अनिल जी
आलोक सिंह "साहिल"

Sushma Garg का कहना है कि -

अनिल जी,
गर्मी की छुट्टियों के सही उपयोग की सीख देती बढ़िया कविता.

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

बढिया चड्डा साब,

कर दिया बच्चों को छुट्टियों में भी बिजी...

अच्छी बाल कविता

डॉ० अनिल चड्डा का कहना है कि -

आप सभी को कविता पसन्द आने का शुक्रिया

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