रुमाल
प्रत्येक शनिवार को सभी बच्चों को सफेद गणवेश पहन कर आना होता है। सभी सफेद कपडे़ पहन कर ही आते परन्तु कई बच्चे रुमाल गन्दा लेकर आते। 
एक बार उन्हें सु्धारने के लिये टीचर ने कहा  "जिस बच्चे का रुमाल सबसे सफेद होगा उसे पुरस्कृत किया जायेगा"। 
रघु के कपड़े सबसे साफ होते। रघु विद्यालय का सबसे स्वच्छ छात्र था। अगले शनिवार सभी बच्चे साफ धुला रुमाल लेकर आये। प्रार्थना सभा में सबसे सफेद रुमाल का चयन किया गया। रघु के पास रुमाल न था। टीचर ने पूछा तो वह चुप रहा। टीचर को गुस्सा आ गया। रघु की नन्ही हथेली पर हल्का सा डंडा मारा। भोजनावकाश में  टीचर ने देखा रघु की गोद में रुमाल बिछा था और वह अपना कलेवा कर रहा था। रुमाल गन्दा था और उस पर कुछ धब्बे भी लगे थे। टीचर उसके पास गई और पूछा ´अब  रुमाल कहां से आ गया´ ? 
रघु गरदन झुकाये चुप रहा। 
उसके पास बैठे बच्चे ने बताया ´´दीदी असलम गिर गया था, उसके घुटने से खून निकलने लगा तो इसने अपना रुमाल वहाँ बांध दिया था´´। टीचर के आँसू छलक पड़े । जहाँ डंडा मारा था उसे हथेली को चूम लिया। खून के धब्बों के मध्य रघु के रुमाल की सफेदी जगमगा रही थी। 
दूसरे दिन सुबह प्रार्थना सभा में, एक और पुरस्कार दिया गया ´´सबसे उज्ज्वल रुमाल´´ ।
॰॰॰विनय के जोशी 
 

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 बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
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6 पाठकों का कहना है :
very nice story.
bahut achche.........seema sachdev
उज्ज्वल रुमाल की उज्ज्वल कहानी कहानी
बहुत बढिया...
kids have pure heart ,elders should learn from it .good story.
विनय जी,
बहुत सुंदर। प्रेरणा देने वाली बाल-कहानी है। क्रम जारी रहे।
वैरी nice स्टोरी,रुमाल का भविष्य उज्जवल है.
आलोक सिंह "साहिल"
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