ग्लोबल वार्मिंग - ग्लोबल वार्निंग....
कच्ची रोटी पक जायेगी
चकले पर बिलते बिलते
और पजामा स्त्री होगा
दर्जी के सिलते सिलते
तीन दिनो के बासी होंगें
फिर भी गरम पकौड़े जी
छाता लेकर चला करेंगे
बन्दर हाथी घोड़े जी
मक्की के खेतों मे जाकर
पॉपकॉर्न भर लायेंगे
और मुर्गियों के पेटों से
उबले अण्डे आयेंगे
रुई की जगह रजाई में
तब वर्फ भराई जायेगी
चार चार कपड़े पहनाकर
सजा दिलाई जायेगी
हो जाओ तैयार कि भैया
ऐसी ग्लोबल वार्मिंग हैं
ज्यादा मत मुस्काओ यारो
इसके पीछे वार्निग है
नहीं मिलेगी तब फिर बच्चों
आइसक्रीम भी खाने को
कुछ दिन में सूखेगा पानी
तरस जायेंगे नहाने को
एक तो इतनी गर्मी होगी
उस पर सर में जूँ होंगी
गयी भाड में बोटिंग सोटिंग
नदी झील भी क्यूँ होंगी
सब कुछ ऐसा हो जायेगा
पैर जलेंगे चलने में
थोडा वक्त भी नहीं लगेगा
सब कुछ राख बदलने में
ऐसी हो अनहोनी बच्चो
उससे पहले यत्न करें
ग्लोबल वार्मिंग आ ना पाये
आओ कुछ प्रयत्न करें
पेड लगायें अधिकाधिक
और प्रकृति का संरक्षण हो
दोहन रुके अनावश्यक का
जीवों का ना भक्षण हो
प्रकृति देवी कूल रही तो
सब कूल कूल हो जायेगा
राक्षसी ग्लोबल वार्मिंग का
भय फिर नहीं सतायेगा
16-10-2008
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9 पाठकों का कहना है :
Bahut bahut bahut achchi hai!
You have the art of combining humor with karun-ras
वाह राघव जी. बहुत अच्छी कल्पना की है.
बहुत अच्छे मुद्दे पर कविता लिखी है...मजाक मजाक में ही भयंकर संकट से भी आगाह करा दिया है आपने ...इस कविता के द्वारा।
बहुत खूब राघव भाई.अच्छा लगा
आलोक सिंह "साहिल"
Namskaar Bhupendar ji ,
Bahut achchi aur sachchi kavita . Aaj aavshayaktaa hai ham sab ko samjhane ki ,isse pahale ki parkriti apni vinaash leelaa dikhaaye hame hi sambhalana hoga .Badhaaii........seema sachdev
राघव जी ,
काम की अधिकता से ज्यादा महत्तवपूर्ण है ,काम की गुणवत्ता ,आप ने जो हास्य के माध्यम से शिक्षा दी है बच्चो को नायाब है |इतने सरल ढंग से जो कुछ कह दिया आपने ,उसके लिए हिन्दयुग्म की तरफ़ से शुक्रिया |
भूपेन्द्र जी,
मज़ा आ गया। संग्रहणीय बाल कविता है। मैं तो कहता हूँ कि इसका बड़े भी आनंद ले सकते हैं और इससे शिक्षा भी ग्रहण कर सकते हैं। मैं मीनाक्षी जी से निवेदन करूँगा कि इसको आवाज़ दें।
बहुत बढ़िया कविता...
भूपेंद्र जी धन्यवाद इतने सरल शब्दों में ग्लोबल वार्मिंग को समझाने के लिए...
पढ़ कर बहुत अच्छा लगा..
वाह ग्लोबल वार्मिंग को बताती यह कविता बहुत दिल को भायी ..बहुत सुंदर लिखा है आपने
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