दीदी की पाती
नमस्ते है सबको ....कैसे हैं आप सब .खूब मनाई दिवाली सबने? बहुत मज़ा आया न रंग बिरंगे पटाखे ,रोशनी और ढेर सारी मिठाई ...:) जल्दी से फ़िर आए यह प्यारा सा त्योहार सबने यही दुआ मांगी है न :) आज दीदी की पाती में आपको वायुयान यानी हवाई जहाज कैसे बना इस के बारे में बताती हूँ ...
वायुयान हवाई जहाज़ विज्ञान का एक अदभुत चमत्कार है इस के अविष्कार से विज्ञान ने हवा पर विजय प्राप्त कर ली है!
जब सबसे पहले आदमी पक्षी को असामान में उड़ते देखता तो सोचता काश मैं भी उड़ पाता दूर आसमान से धरती को देख पाता..अब मनुष्य कुछ सोचे और उसको पूरा न करे यह तो होने ही नही सकता न:)
सबसे पहले एक समुंदर के जहाज़ के कप्तान ने यह कोशिश की उसने समुंदर के एक पक्षी उकाब को उड़ते देख
वैसे ही पंख बनाए और वैसा ही सिर फिर कुछ बाँस से ऐसा बना लिया की ख़ुद भी उस में बैठ सकता था पंख भी लचीले से बनाए जिन्हे हाथ से उपर नीचे किया जा सकता था, उस में बैठ कर वो थोड़ी देर उड़ा और खुश हो गया!
फिर बने ग्लाइडर लकडी के बने हवाई जहाज़ जिन्हे सबसे पहले अराविल राईट बंधु ने बनाया बाद में इन में सुधार होता गया और आज तेज़ से तेज़ हवाई जहाज़ बन गए हैं
जहाज़ में जहाँ पायलट बैठता है उसको काकपिट कहते हैं यही पर लगे यंत्रो से उसको पता लगता रहता है कि जहाज़ को कैसे उड़ाना है,
हवाई जहाज़ को उड़ाने में विज्ञान का एक बहुत बड़ा नियम काम करता है ,वो यह कि जब हम पानी या हवा को हम पानी या हवा को नीचे की और धक्का दे तो इस से उलटे पानी या हवा उसको उपर की ओर धकेल देंगे इस लिए हवाई जहाज़ का पंखा हवा को बड़े ज़ोर से नीचे की तरफ़ फेंकता है और इसके उल्टे हवा जहाज़ को नीचे से उपर की धकेल देती है ,उसके पंख उसको हवा में संभाल लेते हैं और अंदर का इंजन उस को उड़ने की शक्ति देता है तब हवाई जहाज़ तेज़ी से उड़ने लगता है!
आज कल हवाई जहाज़ कई तरह के बन गए हैं जैसे जेट विमान लडाकू विमान बम मार विमान हेलिकॉप्टर आदि ...एक तरह के विमानो को सुपर सौनीक जेट विमान कहते हैं यह बहुत तेज़ ध्वनि की गति से भी तेज़ उड़ते हैं
हमारे देश ने हवाई जहाज़ बनाने में बहुत उन्नति की है बंगलोर में हिंदुस्तान एरक्रॅफ्ट लिमिटेड में और कानपुर में भी पुर्जे बनाने की फेक्टरी है !इस से जहाँ जाना होने जल्दी से जल्दी पहुँचा जा सकता है ,समान भी आसानी से भेजा जा सकता है .लोगो को किसी भी मुसीबत जैसे बाढ़, युद्ध में यह बहुत काम आते हैं! आज कल तो खेतों में दवाई भी इनसे छिड़क दी जाती है, यदि कोई हम पर हमला कर दे दुश्मन तो यह उन पर बम गिरा कर उन्हें हम आगे बढ़ने से रोकते हैं ...यह एक मज़ेदार सवारी है इस के द्वारा ही इंसान ने अपना आसमान में उड़ने का सपना पूरा किया है .!!
सो यह थी आज की दीदी की पाती की मजेदार जानकारी ....
कैसी लगी जरुर बताये और जब करे हवाई जहाज़ की सैर तो कैसा लगता है बादलों को नजदीक से देखना यह बताना हमे न भूले :)
अपना रखे ध्यान ..मैं मिलूंगी जल्दी ही नई पाती के साथ ,करुँगी आपसे फ़िर ढेर सारी बात :)
आपकी दीदी रंजू
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12 पाठकों का कहना है :
बहुत सुन्दर जानकारी है। इसे पढने के बाद मेरा भी मन कर रहा है- काश मेरे भी पंख होते, तो मैं भी...
बधाई।
रंजना जी
काफी उपयोगी जानकारी दी है आपने । बधाई स्वीकार करें ।
नमस्ते रंजना जी,
आपका लेख पद कर ऐसा लगा जैसे मै फिर से अपने बचपन मै पहुच गया हू....और मेरी कक्षा अध्यापिका पुनः मुझे इस रोचक विषय पर जाकारी दे रही है..
चित्रों का बहुत सुदर प्रयोग किया है... जानकारी बिलकुल लयबद्ध है... और सबसे अच्छी बात ये है की बच्चो को ध्यान मै रख कर बनायीं गयी है. अतः शब्द चयन बहुत सुन्दर है
जो मुझे कुछ बातें लगी जो होती तो थोडा अच्छा लगता..
१) समय की जानकारी नहीं दी गयी है, जो ये बताती की कितना समय लग गया इस खोज (सपने ) को सच करे मै.. और किस तरह समय के साथ साथ कैसे ये सोच सफल हो पायी...
२) और शायद इस तरह भी अच्छा लगता की, ये खोज कैसे विज्ञान के नियमो की तरह ये सही है..
जैसे १) परिकल्पना -> प्रयोग -> परीक्षण -> नियम
मुझे ऐसा लगा..
मुझे बताएं आपकी प्रतिक्रिया ..
सादर
शैलेश
रंजू जी,
बहुत हीं सुंदर और ज्ञानवर्धक जानकारी है। इसी तरह हमें सीखाते रहें।
-विश्व दीपक 'तन्हा'
प्यारे बच्चो !
हर बार की तरह रंजना दीदी इस बार हवाई जहाज के बारे में जो जानकारी लेकर आयी हैं उसमें एक बात मैं भी जोड़ना चाहता हूं कि पिछले कई वर्षों से हमारे देश में एक हवाई मेला भी हर दो वर्ष में लगता है. अभी तक यह बंगलौर के यलहंका नामक स्थान पर लगता है. इसमें दुनियां के सभी देशों के हवाई जहाज बनाने वाली कम्पनी बडे़ उत्साह के साथ भाग लेती हैं॰
रंजना जी आपकी बच्चों के प्रति इस निष्ठा और लगन को नमन
दीदी तेरे हवाई जहाज से खूब उडा आकाश
कभी गया मैं दूर क्षितिज में कभी चाँद के पास
कभी चाँद के पास, सितारों को चुन लाया
उल्का-पिंड़ के गुल्कों से मैं जा टकराया
बातें की मैने चीलों से गिद्ध बाज से..
खूब उडा आकाश दीदी तेरे हवाई जहाज से..
रजंना जी,
पिछली कडियों की तरह एक और रोचक जानकारी देती रचना है जिसे चित्रों के माध्यम से सुन्दर प्रस्तुति आधार मिला है.
अरे वाह.....
हवाई जहाज..... उड्ने का मन हो आया
बहुत अच्छी जानकारी..
दीदी की पाती बहुत रोच और ज्ञानप्रद है। बधाई स्वीकारें।
*** राजीव रंजन प्रसाद
bahut acchi acchi bate likhti hai aap, or ye jankari dene ke liye sukriya.
रंजना जी,
जानकारी तो आप बढ़िया दे रही हैं, शैलेश जमलोकी की बातों पर भी ध्यान दें।
रंजना जी,
जानकारी तो आप बढ़िया दे रही हैं, शैलेश जमलोकी की बातों पर भी ध्यान दें।
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