घमंडी बिल्ली
बच्चों , आज मैं तुम्हें एक घमंडी बिल्ली और कुछ मासूम चूहों के बारे में बताना जा रहा हूँ। ध्यान से सुनना और सीखना ।
बच्चों जो चूहे थे ना........................
इधर-उधर , दुम उठा-उठाकर
रोज हीं सरपट दौड़ा करते,
ये चूहे, आपस में दिन-भर
आँख-मिचौली खेला करते,
एक-दूसरे से बच-बचकर ,
कोने में छुप जाया करते,
खुश रहते, मस्ती करते,
एक पल भी ना चिंता करते।
लेकिन बच्चों........
एक रात जब सब सोये थे,
उनके घर एक बिल्ली आई,
ऎसे सुन्दर-सुंदर घर पर
मानो किसी ने नज़र लगाई,
सब की मीठी-मीठी नींद
उस बिल्ली को नहीं सुहाई,
जोर से म्याऊँ-म्याऊँ कर वह
सब चूहों को पास बुलाई।
और उसने कहा.......
मेरे रहते सोये तुम सब,
तुम्हें जान की फिक्र नहीं है?
चूहे हो तुम, छोटे चूहे,
तुममे ताकत कहो, कहीं है?
जिंदा हो मेरे कारण हीं,
इसलिए, मेरा राज्य यही है,
तुम-सब मेरे नौकर-चाकर
बन जाओ तो जान सही है।
ऎसी बात सुनकर चूहों ने उसका नौकर बनना स्वीकार कर लिया। भला किसे अपनी जान प्यारी नहीं है.....
अब चूहे डर-डरकर रहते
खेल-कूद सब भूल गए थे,
बिल्ली की सेवा करने में
रात-दिन बस झूल गए थे,
बच्चे चूहे पढते ना थे,
ना ट्यूशन, ना स्कूल गए थे,
बड़े-बूढे भी आफिस छोड़
बिल्ली-भक्ति में घुल गए थे।
एक सुबह बिल्ली ने सबसे कहा कि सार चूहे मिलकर उसके खाने के लिए दूध जमा करें। वह रात में आएगी। अगर दूध जमा न हुआ तो वह सारे चूहों को खा जाएगी। यह कहकर वो चली गई। अब सारे चूहे परेशान-परेशान। किसी तरह चूहों ने बिल्ली के लिए दूध जमा किया। अब सुनो आगे क्या हुआ............
दूध को एक घड़े में डाल
चूहे सारे पास खड़े थे,
बिल्ली खुश हो जाए यह सोच
घड़े को ऊपर तक भरे थे,
सब बिल्ली की राह देखते-
हर आहट पर वो डरे थे,
कुछ गलती ना हो जाए अब,
यही सोच-सोच सभी मरे थे।
तभी बिल्ली रानी आई.......
चूहे सारे हीं सेवा में
हो आए बिल्ली के पीछे,
बिल्ली रानी दूध देखकर
अपनी मूँछें रौब से खींचे,
ताव दिखाकर पूँछ जो पटका
मूँछे उसकी गिर आई नीचे,
हाय! घड़ा हीं टूट गया,
उसकी पूँछ की एक गलती से।
और बच्चों बिल्ली ने घमंड के कारण आज अपना हीं नुकसान कर लिया। इसलिए घमंड कभी भी नहीं करनाचाहिए, समझे......।
अरे.... कहाँ चले। अभी कहानी खत्म नहीं हुई है। बिल्ली घमंडी है, तो क्या वह चूहों को ऎसे हीं छोड देगी। नहीं ना.......... तो आगे क्या होता है, बिल्ली चूहों को किस तरह धमकाती है, चूहे किस तरह बिल्ली को सबक सिखाने की तैयारी करते हैं और किस तरह बिल्ली से छुटकारा पाते हैं। इसके लिए इस कहानी का अगला भाग जरूर पढना............ अगले शुक्रवार ...... याद से......... ठीक है। तो चलो आज अपने "विश्व दीपक " भैया को टाटा बोलो। बाय...
-विश्व दीपक 'तन्हा'
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8 पाठकों का कहना है :
तनहा जी,
सचमुच मजा आ गया। कहानी निराली तरह से कही गयी साथ ही साथ रोचक भी है। कविता का आनंद अलग....। अगले शुक्रवार की आज से ही प्रतीक्षा है। जरा बिल्ली को जोर का मजा चखाईयेगा...:)
*** राजीव रंजन प्रसाद
तनहा जी
बिल्ली और चूहे के माध्य्म से बहुत अच्छी सीख दे रहे है।
बहुत बहुत बधाई।
बढिया सीख के साथ एक बढिया रचना लिखी है।बधाई।
बहुत अच्छे से तुमने यह कथा सुनाई
अगले शुक्रवार का इंतज़ार रहेगा भाई
इतनी सुंदर रचना से सीख देने की लो बधाई
बिल्ली रानी को अब ऐसा मज़ा चखाना
एक नई कविता यूं ही सुनाना :):)
वाह भाई क्या अंदाज़ है कहानी कहने का, बच्चे तो बच्चे बड़े भी आनंद ले रहे हैं बहुत बधाई
चूहे बिल्ली की कहानी
देखो कितनी सुहानी
सीधे मासूम सारे
बिल्ली कितनी सयानी
करती देखो मन-मानी
सच में प्यारी शिक्षाप्रद कहानी है 'तन्हा जी'
बधाई के पात्र हो आप कृति के लिये
बहुत सुन्दर कविता और बहुत सुन्दर सीख। आशा है आगे भी आप ऐसी मजेदार और शिक्षाप्रद रचनाएं बच्चों के लिए परोसते रहेंगे।
बाल-उद्यान की सुंदरतम भेंट। दीपक भाई आप तो यहाँ के भी सरताज निकले। बहुत-बहुत बधाई।
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