"देखो कितना प्यारा छत्ता"
देखो कितना प्यारा छत्ता
मधुमक्खी का न्यारा छत्ता,
अन्दर से तो मॉम मुलायम
बाहर बहुत करारा छत्ता ।
मधुमक्खी उड़ उड़ कर जातीं
फूलों से रस माँग के लातीं,
रानी करती बस निगरानी
बना ये श्रमिक द्वारा छत्ता ।
लाख कोठरे एक भवन में
शक्ति है जी संगठन में,
नाच नचा देतीं हें सबको
पत्थर से जो मारा छत्ता ।
ये है असली की मधुशाला
मधुर मधुरतम इसकी हाला,
दो दिन से तो कुछ कम सा था
आज फिर बढा दुबारा छत्ता ।
धीरे-धीरे बडा हो रहा
जैसे मटका घडा हो रहा,
रंध्र रंध्र मकरंद हवा से,
ज्यों कोई बढे गुबारा छत्ता । 
देखो कितना प्यारा छत्ता
मधुमक्खी का न्यारा छत्ता

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12 पाठकों का कहना है :
भूपेन्द्र जी
मधु मक्खी के श्रम साध्य मीठे शहद की तरह ही प्यारे बच्चों के लिये रंग बिरंगे चित्रों से सजी रचना
सप्रेम
भूपेन्द्र जी
प्यारी सी कविता लिखी है । साथ ही मधुमक्खी निरन्तर संघर्ष का भी प्रतीक है । आप हम सब प्रयास करेंगें कि मधुमक्खी के समान ही मधु का संचय कर अपने बच्चों को अपनी विरासत सौंप सकें । सस्नेह
बहुत बढिया बाल कविता है।बधाई।
मीठे मीठे शहद सी है प्यारी सी कविता
इस कविता के हर लफ्ज़ ने बच्चो का दिल है जीता
छत्ते के बारे में आपने खूब अच्छे से बताया
पढ़ के इसको हमें बहुत मज़ा आया !!
गजल के फार्मेट में आपकी कविता पढकर अच्छा लगा। मेरी समझ से इस फार्मेट में उद्यान पर छपने वाली यह पहली कविता है। बहुत-बहुत बधाई।
बहुत सुंदर भूपेन्द्र जी! बहुत बहुत बधाई इस सुंदर कविता के लिये!
राघव जी,
सुन्दर रचना के माध्यम से आपने श्रम और संगठन का जो संदेश दिया है वह सराहनीय है.
बधाई
भूपेन्द्र जी,
बहुत हीं प्यारी कविता है...मधु के बारे में सुनकर मुँह में पानी आ गए...
-विश्व दीपक 'तन्हा'
राघव जी,
बहुत सुंदर कविता।
राघव जी, आप बहुत बधाई के पात्र हैं। इस कविता की रवानगी देखते ही बनती है।
*** राजीव रंजन प्रसाद
भूपेन्द्र जी,
आप तो बच्चों के सबसे प्रिय कवि हो जायेंगे। बहुत बढ़िया।
भूपेन्द्र जी,
बटरफ्लाई और देखो कितना प्यारा छत्ता कविताएं बेहद खूबसूरत हैं। आपको साधुवाद। मैं जयपुर से बच्चों की पत्रिका का सम्पादन कार्य देख रही हूं। अगर आपकी इजाजत हो तो हम इन्हें अपनी बच्चों की पत्रिका में प्रकाशित करना चाहेंगे। कृपया जवाब दें।
धन्यवाद
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