Friday, November 16, 2007

बालसाहित्यकार- डा0 मो0 अरशद खान

बच्चो, आज मैं आप लोगों को एक ऐसे रचनाकार से मिलवाता हूं, जो उम्र में तो बहुत छोटे हैं, पर जिन्होंने बच्चों के लिए बहुत ही प्यारी-प्यारी कविता और कहानियां लिखी हैं। उस रचनाकार का नाम है- डा0 मो0 अरशद खान। डा0 खान वर्तमान में शाहजहाँपुर के जी0 एफ0 कालेज में वरिष्ठ प्रवक्ता हैं और पिछले दस सालों से बच्चों के लिए साहित्य सर्जना कर रहे हैं। हालांकि उनकी उम्र अभी बहुत कम है, पर उन्होंने जो कुछ लिखा है, वह अदभुत और लाजवाब है।
आइये उनके एक बालगीत का आनन्द लेते हैं। बालगीत का शीर्षक है- “पाती मुझको लिखना”।



गिरधर भैया अपने हाथों पाती मुझको लिखना।

लिखना अबकी बार खेत में, कैसे आए धान।
देर रात तक दादा गाते, अब भी लम्बी धान?

गऊघाट के मेले से तुम, क्या–क्या लेकर आए?
काली गाय के बछड़े क्या बड़े–बड़े हो आए?

साँझ ढ़ले तक खेल–खेलते, अब भी सुखना–दुखना?
गिरधर भैया अपने हाथों पाती मुझको लिखना।

चौपालों में देर रात तक, होते हंसी–ठहाके?
क्या रामू काका मानस की, चौपाई हैं गाते?

बूढ़े दादा से तुम सबने, कितनी सुनी कहानी?
लिखना उनसे बात ज्ञान की, तुमने कितनी जानी।

सीख लिया अब कल्लू ने क्या, अ–आ–इ–ई पढ़ना?
गिरधर भैया अपने हाथों पाती मुझको लिखना।

जल्दी करना देर न करना, पाती झट भिजवाना।
टूटी–फूटी भाषा में ही, सबका हाल बताना।

फिर मत पूछो पाती पाकर, मन कितना खुश होगा।
नहीं दिया पाती, सोचो, दुख मुझको कितना होगा?

हरकारे की राह ताकती, रहती तेरी बहना।
गिरधर भैया अपने हाथों पाती मुझको लिखना।
प्रस्‍तुति- ज़ाकिर अली “रजनीश”


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11 पाठकों का कहना है :

विश्व दीपक का कहना है कि -

डा० साहब,
बड़ी हीं मनोरम कविता लिखी है आपने। एकदम से मुझे बच्चा बना दिया। और हाँ ये बताईये कि..........गिरिधर भैया कहाँ मिलेंगे :)

-विश्व दीपक 'तन्हा'

शोभा का कहना है कि -

ज़ाकिर जी
बहुत ही भावपूर्ण रचना ।
फिर मत पूछो पाती पाकर, मन कितना खुश होगा।
नहीं दिया पाती, सोचो, दुख मुझको कितना होगा
इसमे गाँव की मिट्टी की खुशबू बसी है । अपनी मिट्टी की याद बहुत स्वाभाविक है ।

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

बहुत ही प्यारा खत है आपका..
बधाई

Unknown का कहना है कि -

डा0 मो0 अरशद खान

फिर मत पूछो पाती पाकर, मन कितना खुश होगा।
नहीं दिया पाती, सोचो, दुख मुझको कितना होगा

बहुत ही हृदयस्पर्शी पंक्तियां हैं. विशेषकर मेरे लिये जिसकी मर्मभूमि शाहजहांपुर है. ऐसा लगा जी एफ कालेज के प्रांगण की हवा मेरे अंतस को छूकर निकल गयी. एक समय मैं उस कालेज का बी एस सी का छात्र रह चुका हूं.

शुभकामनायें

रंजू भाटिया का कहना है कि -

बहुत बहुत सुंदर यह गिरधर कही मिले तो मुझे भी बताना :) दिल को छू जाने वाली है यह कविता !!

SahityaShilpi का कहना है कि -

सचमुच बहुत ही सुंदर रचना है! बधाई स्वीकार करें.

anuradha srivastav का कहना है कि -

माटी की खुशबू लिये प्यारी सी कविता।

anuradha srivastav का कहना है कि -

माटी की खुशबू लिये प्यारी सी कविता।

अभिषेक सागर का कहना है कि -

ज़ाकिर जी
पाती की इतनी सुंदर कविता पढ कर मुझे अपने पीछली बाते याद आ गये जब मै भी अपने घर से एसे ही पाती की इंतजार करता था।

बहुत सुंदर रचना।

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

डा0 मो0 अरशद खान से परिचित कराने का आभार। सचमुच एक उत्कृष्ट बाल-रचना।

*** राजीव रंजन प्रसाद

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

मो॰ अरशद जी,

बहुत ही मनभावन कविता है। मुझे मेरे गाँव, मेरे मुहल्ले की याद आ गई।

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