दीदी की पाती ..''जादू की दुनिया"'.
दीदी की पाती ..
जादू देखना और उसके बारे में पढ़ना सुनना किसे अच्छा नही लगता ..मुझे तो बहुत अच्छा लगता है .कितनी मजेदार लगती है न "'जादू की दुनिया"'... पलक झपकते ही मजेदार जादू दिखाता है जादूगर .आज आपको इसी जादू से जुड़ी कुछ रोचक बातें बताती हूँ ..
क्या आप जानते हैं कि मेजिक जादू शब्द की उत्पति "मेजी" शब्द से हुई है जिसका मतलब होता है "चतुर वयक्ति" .ईसा के जन्म के पश्चात उनसे मिलने वाला पहला व्यक्ति "मेजी" ही था ..
मेजिक जादू की दुनिया में सबसे अधिक प्रचलित नाम "मेंड्रेक "है .यह एक पौधे का नाम है लोगों का विश्वास है कि इस पौधे कि जड़ में जादुई शक्तियाँ थी !
प्रिन्स चार्ल्स एक जादूगर भी हैं वह लंदन की मैजिक सर्कल नामक संस्था के सक्रिय सदस्य भी हैं
ताश के खेल रोचक तो लगते ही हैं जादू में भी इसका भरपूर प्रयोग किया जाता है इसका आविष्कार जानते हो किसने किया था चीन की कुछ महिलाओं ने बोरियत से बचने के लिए ९६९ इस्वी में किया था और एक साधरण ताश की गड्डी से दस हज़ार से भी अधिक प्रकार की ट्रिक्स दिखायी जा सकतीं है !!
विवेकानन्द जी का नाम तो आपने सुना होगा वह एक महान दार्शनिक और उपदेशक थे उन्होंने जादू की कई पुस्तकों का अध्यन किया था और कई बार वह छोटी मोटी ट्रिक्स भी दिखाते रहते थे
स्वर्गीय पी .सी. सरकार भारत के प्रथम जादूगर थे जिन्हें पदम श्री से सम्मानित किया गया था
ऐब्ररा का डेबरा.सिर्फ़ एक ग्रीक मिथक शब्द है इसका प्रयोग सिर्फ़ जादू के दौरान ध्यान बांटने के लिए किया जाता है !!
सो यह तो थी जादू की दुनिया की कुछ मजेदार बातें ..कुछ जादू मैंने भी सीखे हैं आप सबको दिखाने के लिए ..क्या आप भी वह सीखना चाहते हैं .??.तो मुझे जल्दी से पत्र लिखिए ..मैं फ़िर हाज़िर हो जाऊँगी जादू के कुछ मजेदार खेल ले कर .
अभी के लिए ऐब्ररा का डेबरा...:):)
आपकी की दीदी
रंजू
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7 पाठकों का कहना है :
Ranju ji aapka jaadu to ham par bhi chal gaya
ह्म्म्म्म्म्म्म्म जादू.........
गिलि लि लि छूऊऊऊऊऊऊ......
आपको थेंक यूऊऊऊऊऊ........
रंजना जी,
काफी रोचक जानकारियाँ......
दीदी की पाती काफी जानकारियों का पिटारा है
रंजू दीदी, जादू की दुनिया की इतनी रोचक जानकारी देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद , आपकी अगली पाती का इंतज़ार रहेगा
^^पूजा अनिल
Jaadu ki duniya ka achchha parichay diya.
Yadi ek do jaadu bhi seekhne ko kilta to aur mazaa aata.
बहुत ही प्यारी जानकारी,शुक्रिया
आलोक सिंह "साहिल"
रंजना जी,
मैं कंफर्म नहीं हूँ पर शायद ताश के खेलों की पहल भारत में हुई थी और मुगल शासकों के काल में। वैसे मैं कुछ इतिहास पढ़ने वाले लोगों को जानता हूँ। उनसे सत्यापित करूँगा।
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