मेरा डागी
मेरा डागी, मेरा डागी,
सबसे प्यारा मेरा डागी,
रोज नये वो खेल खिलाता,
सबसे न्यारा मेरा डागी,
सुबह-सुबह वो उठ कर आता,
प्यार से मेरा मुँह सहलाता,
सपनों से मुझको है जगाता,
इतना मुझको प्यार दिखाता,
जोर-जोर से पूँछ हिलाता,
माना, बोल नहीं वो पाता,
फिर भी सब कुछ है समझाता,
इधर कूदना, उधर कूदना,
सारा दिन है मन बहलाता,
न कोई झगड़ा, न कोई लफड़ा,
रूठूँ तो मुझको है मनाता,
चोट ज़रा सी लग जाती तो,
प्यार से उसको है सहलाता,
कितना सुंदर मेरा डागी,
हरदम मुझको प्यार जताता,
निश्छल, सीधा मेरा डागी,
हम सबको है प्यार सिखाता !
रचनाकार- डॉ॰ अनिल चड्डा
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
12 पाठकों का कहना है :
डागी की तरह रचना प्यारी है |
अवनीश
सुंदर कविता :)
Bhut khoob. Kavita aur photo dono bahut pyare hain.
तिवारी जी, रंजु जी एवं रजनीश जी,
रचना पसन्द आने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद !
बहुत ही अच्छा लिखा है सही बात है बचपन मे कभी कभी हमे कुछ चीजें बहुत ही प्यारी लगने लगाती हैं जिसका की आप व्रेदान्न नही कर सकते लेकिन हाँ एक कविता ही है जिसके मध्यम से आप भओं को विचारों का रूप पर्दान कर लेखनी के मध्यम से लोगों के बीच उतर सकते हैं
pyaare se DOGI jaisi hi pyaari kavita bhi
namashkar..mere sabhi kavi mitro..aaj main pahli baar hindi main koi kavita pad rahi hun aur mujhe bahut hi aacha laga....dr. anil jee ko main bdhae deti hun...
एकलव्य, सीमाजी एवं लिपिकाजी,
कविता की प्रशंसा के लिये आभारी हूँ । आगे भी प्रयास जारी रहेगा ।
बेहतरीन,प्यारी रचना है
आलोक सिंह "साहिल"
धन्यवाद साहिलजी !
अनिल जी,
आपकी बाल कविताएँ मन को मोह लेती हैं।
अच्छी प्रवाहपूर्ण बाल कविता...
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)