आओ सीखें अपनी भाषा... ( दूसरा पाठ )
बच्चो पिछ्ली बार आप और हम मिले थे हिन्दी वर्ण माला के कुछ प्यारे प्यारे
अक्षरों से याद है ना ( क ख ग घ और ङ )
चलिये आज कुछ और नये अक्षरों से दोस्ती करते है क्यूकि इनकी दोस्ती सारी उम्र
काम आती है तो आज मिलते हैं कुछ और अक्षरों से :-
'च' से चरखा सूत बनाता
कर्मठता का पाठ पढ़ाता
देखो अम्मा कात रही है
इसका मतलव बात सही है
'छ' से छतरी धूप बचाती
बारिश में भी काम ये आती
रंग बिरंगा मेरा छाता
सब बच्चों के मन को भाता
'ज' से जहाज पर हुए सवार
जाते हैं सब सागर पार
किसने इसे बनाया होगा
सागर में तैराया होगा
'झ' से झण्डा प्यारा प्यारा
आसमान में सबसे न्यारा
भारत माँ की शान तिरंगा
है अपनी पहचान तिरंगा
'ञ' खाली पर थोड़ा रुककर
सोचो आगे कौन से अक्षर 
'ट' से टमाटर कितना लाल
सब्जी में दो इसको डाल
सब्जी लगती कितनी स्वाद
ट से टमाटर हो गया याद 
'ठ' से ठठेरा बर्तन लाया
'बर्तन ले लो' वो चिल्लाया
माँ ने फिर आवाज लगाई
दिखलाओ एक बड़ी कढ़ाई
'ड' से डमरू डम-डम डम-डम
खेल देखने जायेंगे हम
नाँचे बंदरिया बंदर गाये
माँग माँग कर पैसे लाये

'ढ' ढ से ढफली ढ से ढक्कन
दूध दही पानी या मक्खन
ढककर रखना है हितकारी
दूर रहे इससे बीमारी
'ण' खाली पर आओ मिलकर
फिर दोहरायें प्यारे अक्षर
- तो कैसी रहीं मुलाकात इन प्यारे प्यारे अक्षरों से.
फिर मिलेंगे अगली बार कुछ और नये अक्षरों के साथ.
-राघव

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10 पाठकों का कहना है :
अरे भाई भाषा तो सिखा रहे हो पर भाषा लिखना तो सीख लो। शीर्षक में ही भाषा से ऐसी भसड़ क्यों?
सब कुछ अच्छा है और कविता रूप में बहुत प्यारा भी...लेकिन जो बच्चे ये पढ़ लेंगे, उन्हें वर्णमाला सीखने की जरूरत कहाँ होगी? ;)
भूपेंद्र जी आपका प्रयास बहुत सराहनीय है और बच्चो के लिए तो काम का है ही ,पर समझ नही आया ट कहा गया....?
सीमा जी धन्यवाद, 'ट' से टमाटर जी मेरे कागज में तो मौजूद हैं पता नहीं कैसे नाराज हो गये यहाँ आने के लिये.. पुनः संशोधित कर रहा हूँ ताकि टमाटर महाशय परिवार के बीच विराजमान हो सकें.
त्रृटि के लिये क्षमाप्रार्थी हूँ..
भाई गौरव जी मेरी टांग क्यूँ खींचने पर लगे हो :)
अब बच्चे जो वर्ण-माला याद करते है वहाँ कुछ ना कुछ तो सांकेतिक होता है ना, हमने भी तो ऐसे ही याद किये थे भाई.. मात्र बच्चे के लिये नहीं बच्चों को सिखाने के लिये अध्यापक के लिये भी हैं ताकि चाव बना रहे और बच्चा याद कर सके..
यह कक्षा बहुत ही अच्छी है .हिन्दी के शब्द बच्चे आसानी से याद कर सकते हैं इस से बधाई राघव जी !!
लवली जी राघव जी..
Bahut sundar paath hai.
Badhaayi.
राघव जी,
बहुत सुन्दर लगा आपका प्रयास. कविता, पढ़ाई और सीख एक साथ. मैं अपने पोते-पोती को इसी से वर्णमाला सिखाऊंगी.
बधाई.
भुपेन्द्र जी,
यह सराहनीय प्रयास है।
गौरव जी,
वास्तव में यह आलेख अभिवावकों और अध्यापकों के काम आयेगा। वे बच्चों से रटवा सकते हैं। अक्षरों को याद करने में आसानी हो, इस दृष्टिकोण से यह काम सराहनीय है।
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