Friday, September 28, 2007

चुपके से बतलाना

बच्चो, 2 अक्टूबर को हमारे राष्ट्रपिता गांधी जी का जन्म दिवस है। प्यार से लोग उन्हें बापू भी कहते हैं। उन्होंने अहिंसा के सिद्धान्त के द्वारा देश के लोगों को एकता के सूत्र में बांधने और हमारे देश को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज प्रस्तुत है उन्हीं को सम्बोधित एक बाल गीत। आशा है आपको यह रचना पसंद आएगी।


बाल गीत
बापू तुम्हें कहूं मैं बाबा, या फिर बोलूं नाना?
सपनों में आ कर के मेरे चुपके से बतलाना।।



छड़ी हाथ में लेकरके तुम, सदा साथ क्यों चलते?
दांत आपके कहां गये, क्यों धोती एक पहनते?
हमें बताओ आखिर कैसे, तुम खाते थे खाना?
सपनों में आ कर के मेरे चुपके से बतलाना।।


टीचर कहते हैं तुमने भारत आज़ाद कराया।
एक छड़ी से तुमने था दुश्मन मार भगाया।
कैसे ये हो गया अजूबा मुझे जरा समझाना।
सपनों में आ कर के मेरे चुपके से बतलाना।।


भोला–भाला सा मैं बालक, अक्ल मेरी है थोड़ी।
कह देता हूं बात वही जो, आती याद निगोड़ी।
लग जाए गर बात बुरी तो रूठ नहीं तुम जाना।
सपनों में आ कर के मेरे चुपके से बतलाना।।


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9 पाठकों का कहना है :

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

रजनीश जी,

बापू, उनके आदर्श और शिक्षा मिथक बनती जा रही है। आपने बीज बना कर बच्चों के सम्मुख परोसने का सार्थक प्रयास किया है। यह बीज पुष्पित हो और फूलों जैसी यह पीढी जब सुन्दर बागीचा बन जायेगी तब पायेगी कि उन्हे पोषित करने में रजनीश जी की कलम का कितना महान योगदान था।

गाँधी जयंति की शुभकामनाओं के साथ।

*** राजीव रंजन प्रसाद

अभिषेक सागर का कहना है कि -

रजनीश जी,
बहुत अच्छी बाल गीत
आज के समय मे जब अहिंसा को सब भुलते जा रहे है आपने अपने गीत के माध्यम से बच्चो को सीखाने की कोशीश की।
ताकि बच्चे अच्छी सीख लें

praveen pandit का कहना है कि -

आप कह रहे थे और मैं बालक बन कर सुन/पढ रहा था।
सुखद लगा।

प्रवीण पंडित

praveen pandit का कहना है कि -

आप कह रहे थे और मैं बालक बन कर सुन/पढ रहा था।
सुखद लगा।

प्रवीण पंडित

रंजू भाटिया का कहना है कि -

बहुत अच्छी रचना रजनीश जी बच्चो के लिए भी और बडों के लिए भी:)
अच्छा लगा इसको पढना ...बधाई सुंदर रचना के लिए गाँधी जयंती की शुभकामनाये सबको ।

SahityaShilpi का कहना है कि -

रजनीश जी!
गाँधी जयंती के अवसर पर बच्चों को उनसे जोड़ने का आपका यह प्रयास बहुत ही सुंदर लगा.
बधाई स्वीकारें!

सभी को गाँधी-जयंती और लाल बहादुर शाष्त्री जी के जन्मदिन की शुभकामनायें!

Dr. Seema Kumar का कहना है कि -

गांधी जयंती पर अच्छी रचना बच्चों के लिए । बधाई ।

मुझे लगता है इन पंक्तियों की जगह कुछ और सकारात्मक हो तो ज़्यादा अच्छा होता :
"भोला–भाला सा मैं बालक, अक्ल मेरी है थोड़ी।
कह देता हूं बात वही जो, आती याद निगोड़ी।"

खासकर बच्चों की रचना में 'निगोड़ी' जैसे शब्दों से बचा जाना चाहिए ।

- सीमा कुमार

Dr. Zakir Ali Rajnish का कहना है कि -

सीमा जी, आपका कहना जायज है। यदि यहाँ पर इसके स्थान पर कोई और शब्द होता, तो शायद ज्यादा अच्छा रहता।

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

रजनीश जी,

सच में, जब हम बच्चे थे तो गाँधी जी के बारे में जानने के बाद यही आश्चर्य होता था कि एक छड़ी के बल पर उन्होंने ज़ाहिल अंगेज़ों को कैसे देश से बाहर खदेड़ दिया? आप बालमन खूब समझते हैं।

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