बंदर की दुकान (बाल-उपन्यास पद्य/गद्य शैली में) - 7
छठवें भाग से आगे....
7. टर्र टर्र करता मेंढक आया
आकर बंदर को फ़रमाया
सुना है तेरी शॉप कमाल
मिलता है यहां सब माल
तपती गर्मी से हूं तंग
जल रहा मेरा अंग-अंग
दे दो जो मुझको बरसात
दूंगा फिर मैं सबको मात
सुनकर बंदर था हैरान
कैसे ग्राहक हैं महान
बोला मेघ बुलवाता हूँ
तेरे घर पहुँचाता हूँ।
7. अब टर्र-टर्र करता हुआ मेढक बंदर के पास आया और आते ही फ़रमाया :-
सुना है बंदर भाई, तुम्हारी दुकान बड़े कमाल की है, यहां पर हर चीज मिलती है।
हां हां मेढक भाई, बोलो तुम्हें क्या चाहिए।
देखों गरमी से मेरा बुरा हाल हो रहा है, मेरा पानी के बिना अंग-अंग जल रहा है। अगर तुम मुझे थोड़ी सी बरसात दे दो तो मैं सबको मात दे सकता हूँ।
सुनकर बंदर हैरान था और मन ही मन बुदबुदाया, अरे कैसे कैसे महान ग्राहक हैं पर मेढक से बोला:- मैं अभी बादल को बुलावा भेजता हूं, और वर्षा तुम्हारे घर तक पहुँचा दूंगा।
आठवाँ भाग

आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं।
क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों?
अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए।
तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया।
आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में।
एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं।
पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।
बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
2 पाठकों का कहना है :
टर्र टर्र करता मेंढक आया
आकर बंदर को फ़रमाया
सुना है तेरी शॉप कमाल
मिलता है यहां सब माल
तपती गर्मी से हूं तंग
जल रहा मेरा अंग-अंग
दे दो जो मुझको बरसात
दूंगा फिर मैं सबको मात
सुनकर बंदर था हैरान
कैसे ग्राहक हैं महान
बोला मेघ बुलवाता हूँ
तेरे घर पहुँचाता हूँ।
क्या खूब लिखा है.
Bander to chalaki se ha ki chal mein sab ki bat man leta hai.Sunta sab ka hai aur karta apne man ka hai.
Wah!!!!!!
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)