जो काम करो मन लगा कर
एक बार की बात है, मोहन और सोहन नाम के दो मित्र रहते थे। दोनो में बहुत दोस्ती थी, हमेशा हर काम में साथ-साथ करते थे। एक बार गाँव में बहुत बड़ा मेला लगता है। मेले तरह तरह के आयोजन होता है। कहीं झूले थे तो कहीं नाच का कार्यक्रम हो रहा था तो कहीं भजन का आयोजन हो रहा था।
दोनो मित्र मेले में जाते है, मोहन ने सोहन से कहा कि कि चलो नर्तकी का नाच देखते है, सोहन ने नाच देखने से इन्कार कर दिया और कहा कि मै भी भगवान की कथा सुनूँगा। दोनो अपने अपने मनपंसद कार्यक्रम को देखने के लिये चल दिये।
काफी दिनों बाद किसी कारण वश उन दोनो की मृत्यु हो जाती है, और यमदूत उन्हे लेकर यमराज की सभा में ले जाते है और यमराज दोनो को उनके कर्मो के अनुसार स्वर्ग और नरक का निर्धारण कर देते है। यमराज मोहन को नर्क तथा सोहन को स्वर्ग दे दिया।
यमराज की इस प्रकार की सजा निर्धारण से भगवती लक्ष्मी सन्तुष्ट नही हुई और नारायण से पूछा कि हे भगवन आपके के भक्त मोहन को तो नर्क मिला किन्तु नर्तकी का नाच देखने वाले सोहन को स्वर्ग, यह तो आपके भक्त के साथ अन्याय है।
देवी लक्ष्मी की बात सुन कर नारायण भगवान विष्णु ने उनकी शंका दूर करते हुये कहा कि हे देवि उस मेले में मोहन भगवत कथा में गया तो था किन्तु वह अपने मन को नर्तकी के नाच में रखे हुये था जबकि मोहन नर्तकी के नाच में था किन्तु उसका मन सिर्फ नृत्य की ओर था। मोहन अपने कर्म पथ पर चल रहा था किन्तु सोहन जिस काम को कर था उनका मन उसमे नही लग रहा था। व्यक्ति जो काम कर रहा हो उसका मन उसी ओर होना चाहिये।
इसीलिेये सोहन को स्वर्ग और मोहन को नर्क मिला। अत: हमें इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि हम जो भी काम कर रहे है उसे मन लगा कर करना चाहिये। जब पढ़ाई करे तो पढ़ाई पर तथा खेले के समय खेलने पर ध्यान होना चाहिये। इससे हर किये जाने वाले काम में सफलता मिलती है।
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5 पाठकों का कहना है :
बच्चों को बहुत ही अच्छी कहानी सुनायी आपने।
सही सलाह!!
roj jaye tu dewalay wahan ghante bajaye man man ke,
ishwar tujhko kaise mile band dwar tere man ke
narayan narayan
शिक्षाप्रद व ज्ञानवर्धक कहानी!
sahi hai ji,bahut achhe
ALOK SINGH "SAHIL"
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