बंदर की दुकान (बाल-उपन्यास पद्य/गद्य शैली में)- 3
दूसरे भाग से आगे....
3. चूहा गया तो बिल्ली आई
राम-राम आकर बुलाई
चूहे का बोलो क्या मोल
दो किलो मुझको दो तोल
ताजे-ताजे मोटे-मोटे
नहीं चाहिएं मुझे चूहे छोटे
गुस्सा बंदर को अब आया
पर मन ही मन में दबाया
बोला बंदर बिल्ली बहना
माने जो तू मेरा कहना
चूहे तुम्हें मंगवा दूंगा
घर तेरे भिजवा दूंगा
बिल्ली को यूं दे विदाई
किसी तरह से जान छुड़ाई ।
3. चूहा गया तो इतने में बिल्ली दुकान पर आ पहुँची और :-
राम राम बंदर भैया
राम राम बिल्ली बहना
क्या तुम्हारे पास मोटे-मोटे, ताजे- ताजे चूहे हैं?
चूहों का भाव क्या है? और मुझे दो किलो तोल कर दे दो। देखना चूहे छोटे नहीं होने चाहिएं।
बिल्ली की बात सुनकर बंदर को थोडा गुस्सा आया पर अपने गुस्से पर काबू पाते हुए बोला:-
बिल्ली बहना अगर तुम मेरी बात मानों तो अपने घर जाकर आराम करों और मैं चूहे मंगवा कर तुम्हारे घर पर ही भिजवा दूंगा। ऐसा कहकर बंदर मामा नें बिल्ली मौसी को घर भेज दिया।
चौथा भाग
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6 पाठकों का कहना है :
Tukaant shabdo ka prayog kavita ki jaan hai. Bal upanyas padhne ko mil raha hai. Patro ki hajir jawabi sujh-bhoojh ke namune hai. Inhe padhkar bachoon ka bhi mansik vikas hoga. Badhayi
Manju Gupta.
चूहा गया तो बिल्ली आई
राम-राम आकर बुलाई
चूहे का बोलो क्या मोल
दो किलो मुझको दो तोल
ताजे-ताजे मोटे-मोटे
नहीं चाहिएं मुझे चूहे छोटे
गुस्सा बंदर को अब आया
पर मन ही मन में दबाया
बोला बंदर बिल्ली बहना
माने जो तू मेरा कहना
चूहे तुम्हें मंगवा दूंगा
घर तेरे भिजवा दूंगा
बिल्ली को यूं दे विदाई
किसी तरह से जान छुड़ाई ।
बच्चों के लिए आसन शब्दों में सुन्दर कविता.
seemaji aapko sahityashilpi padhakr bhi achha laga.
bahut khoob...
बढिया!!
अच्छी लगी कविता ....बधाई!..
billi mausi ko bhi shikaar nahi karna hai ,choohe taulwaane hain ,bhai waah .ab kya ????
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