कितने अंधे?
एक बार बादशाह अकबर ने बीरबल से पूछा,-"संसार में आंखों वाले ज्यादा हैं या अंधे?"
बीरबल ने कहा - "हुजूर अंधे ज्यादा हैं।"
"कैसे?"
"किसी दिन आपको दिखा दूँगा।"- बीरबल ने कहा।
तीसरे दिन बीरबल मोचियों वाला एक बक्सा और एक व्यक्ति को एक साथ लेकर चौराहे पर जा बैठे और जूते गांठने लगे। जो भी वहां से गुजरता, वही बीरबल को देखकर आशर्यचकित हो उठता था और पूछता -"अरे बीरबल, क्या कर रहे हो?"
बीरबल मुस्कुरा के रह जाते और उनके पास बैठा व्यक्ति का नाम पूछ कर अपनी पुस्तिका में लिख लेता।
करीब घंटे भर बाद बादशाह की सवारी उधर से गुजरी।
बीरबल को जूते गाँठते देखकर उन्होंने पूछा, -"बीरबल यह तुम क्या कर रहे हो?"
बीरबल के आदेश पर उनका नाम भी लिख लिया गया।
दूसरे दिन बीरबल दरबार में पहुँचे तो बादशाह ने पूछा, -"बीरबल कल क्या कर रहे थे?"
"अंधों की सूची बना रहा था जहाँपनाह।"
"क्या? अंधों की सूची?" बादशाह चौंके।
"जी, मैंने आपसे कहा था कि अंधे ज्यादा हैं और आपने कहा था सिद्ध करो।"
"तो दिखाओ सूची"
बीरबल ने अकबर बादशाह को सूची दिखाई।
अकबर बादशाह ने जब अंधों की सूची में सबसे ऊपर अपना नाम देखा तो पूछा, -"अंधों की सूची में हमारा नाम?"
ये क्या हिमाकत है बीरबल?"
बीरबल ने कहा -"जिस समय आपकी सवारी मेरे सामने से होकर गुजरी्, आपने मुझे जूते गांठते हुए देखकर भी अंधों-सा सवाल किया कि बीरबल क्या कर रहे हो? इसलिए आपका नाम भी भी अंधों की सूची में सबसे ऊपर लिखा गया है और आपकी तरह जिन्होंने यह सवाल किया है, उनसभी का नाम इस सूची में लिख दिया गया है, जिन्होंने जूते गांठने का कारण पूछा, उनका नाम आँख वालो की सूची में है और ये बहुत कम है। "
बादशाह अकबर शर्म से पानी-पानी हो गए क्योंकि उन्होंने भी यह बेबकूफी भरा सवाल किया था।
"इस कहानी से आपको क्या शिक्षा मिलती है? सबसे अनूठे अंदाज में बताने वाले को हम बीरबल के खिताब से नवाज सकते हैं तो देर किस बात की जल्दी बताइये की आपने इस कहानी से क्या सीखा"
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9 पाठकों का कहना है :
बहुत ही शिक्षाप्रद कहानी है. लोगों के पास टाइम नहीं होता बात पूछकर फिर रुक कर उस कार्य का कारण पूछने के लिये. या कहिये की लोगों को सवाल पूछने का ढंग नहीं आता. लेकिन नीलम जी, मैं सही हूँ या गलत एक गुजारिश है आपसे कि मनु जी के उत्तर का इंतज़ार करने के बाद ही (जो भी उत्तर हो उनका बिना उस पर गौर किये) आप कृपा करके बीरबल वाली पोस्ट उन्हें ही दीजियेगा आप भी शायद सहमत होंगी मुझसे. नहीं तो कहीं पंगा या दंगा -जो भी अर्थ सही है- वह न हो जाए हिंद-युग्म के मंच पर चुनाव करते समय. ही,हे हे हीहेई..heeeeeeeeee
नीलम जी,
कहना चाहकर भी कहना भूल गई कि यह जो तस्वीर है रंग-बिरंगी, अकबर जी की सवारी की, बहुत ही cute है. ऐसी ही रंग बिरंगी तस्वीरों वाली पुस्तकें मैंने भी पढीं हैं. बहुत दिनों के बाद इतनी प्यारी तस्वीर देखने को मिली है कि बचपन जी उठा फिर से. धन्यबाद
अक्लमंद थे बीरबल, अक्ल न लेकिन मंद.
वे भी अंधे जो कहें, अब न शेष है छंद.
अब न शेष है छंद, छंद सचमुच अशेष है.
अलंकार रस बिम्ब मात्रा लय विशेष है.
कहे 'सलिल' कवि आँखोंवाले लोग चंद थे.
अक्ल मंद अकबर की, बीरबल अक्लमंद थे.
दोहा कक्षा नायिका, खुश दिखतीं हैं आज
जिसको कह दें बस उसे, पहना दीजै ताज
पहना दीजै ताज भले सर पे हो टोपी
चाहे हर उत्तर को वो करता हो कोपी
कहे मनु वह आँखों वाला भी है अंधा
जो समझे ना सही गलत का गोरखधंधा
नीलम जी, देखिये:
मिल बैठे हैं सलिल मनु, दोहा आयें रास
आये थे हरि भजन को, ओटन लगे कपास
ओटन लगे कपास, समझ दोहे की कक्षा
अँधा यहाँ सोच रहा, कर ईश्वर रक्षा
रही शन्नो घबरा, बन बैठे मनु बीरबल
खिचडी पकाएंगें , दोनों साथ बैठे मिल.
करता व्यर्थ सवालों से,
अपनी ऊर्जा नष्ट,
उत्तर जाने फिर भी पूछे,
हुई है मति भ्रष्ट .
देखकर अपनी आँखों से भी,
समझ नहीं जो पाए,
पूछे व्यर्थ सवाल जो,
वो आँख का अँधा कहलाये .
सीधी सच्ची बात है कि हम रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में कई बार ऐसे सवाल पूछ लेते हैं , जिनकी जरूरत नहीं होती, हम जवाब भी जानते हैं, फिर भी पूछ लेते हैं......बीरबल की दृष्टि में वो सब आँख वाले अंधे हैं जो इस तरह के फिजूल सवाल करते हैं.
कहे 'सलिल' कवि आँखोंवाले लोग चंद थे.
अक्ल मंद अकबर की, बीरबल अक्लमंद थे.
shaayad birbal khud bhi yah baat n kah paate .
salil -(pappu) ko paas kiya jata hai aur unhe birbal ke khitaab se nawaja jaata hai .
पप्पू के लिए ढेर सी तालियाँ! और साथ में कुछ lollipop भी, नीलम जी.
shiksha mantraalya hi diya hai ,ab lolipop ki kya jaroorat hai inko
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