सच्चा सेवक
एक राजा था|वह बहुत बुद्धिमान था|विद्वानों का वह खूब आदर करता था| उसके दरबार में अनेक कलाकार थे|वहाँ अक्सर गंभीर विषयों पर चर्चाएँ होती रहती थी| राजा उन्हें बड़े ध्यान से सुनता था| एक दिन राजा ने अपने दरबारी विद्वानों के सामने प्रश्न रखा,"एक सच्चे सेवक की क्या पहचान होनी चाहिए?"
प्रश्न वैसे तो सरल लगता था|अनेक विद्वानों ने अपनी ओर से उत्तर भी दिए,किंतु उन उत्तरों से राजा संतुष्ट न हुआ|धीरे-धीरे यह बात सारे राज्य में फैल गयी| लोगों को सुनकर अचरज हुआ कि राजा के दरबार में तो एक से बढ़कर एक विद्वान हैं,फिर भला राजा उनमे से किसी के भी उत्तर से संतुष्ट क्यों नही हुआ|
राजा ने राज्य भर में ढिंढोरा पिटवाया कि जो भी इस प्रश्न का संतोषजनक उत्तर देगा, उसे पुरुस्कृत किया जायेगा|
समय बीतता गया| कई लोग आए| मगर राजा को किसी का भी जवाब जंचा नही| इससे राजा को बड़ी निराशा हुई| तभी अचानक एक दिन एक किसान राजा के दरबार में हाजिर हुआ और बोला-"आपके सवाल का जवाब मै दूँगा| जल्दी से गाँव के घरों में जलने वाली एक ढिबरी का प्रबंध कीजिये| तुंरत एक ढिबरी हाजिर की गयी|
किसान ने उसे जलाकर पूछा -"बताईये इस ढिबरी में प्रमुख वस्तु क्या है?"
"प्रकाश" राजा का उत्तर था|
"आख़िर यह प्रकाश आता कहाँ से है?", किसान ने फिर पूछा
"बत्ती के जलने से"
"क्या बत्ती अपने आप जलती है?"
" नही, उसका कारण तेल है|"
" तेल कहाँ है?"
" ढिबरी के अन्दर|"
अबकी बार किसान मुस्कुराया| बोला- "राजा जी, आपके सवाल का जवाब मिल गया| सच्चे सेवक को इस ढिबरी के तेल की तरह होना चाहिए जो चुप चाप जलकर सारे घर में रौशनी फैलाता रहे| मौन रहकर अपना कर्तव्य पूरा करता रहे और अपने काम का कभी विज्ञापन न करे|"
किसान के उत्तर से राजा इतना प्रसन्नं हुआ कि उसने किसान को गले से लगा लिया| पुरुस्कृत किसान खुश था, पर दरवार में कोरी बहस करने वाले विद्वानों के चेहरे देखने लायक थे|
योग मंजरी से साभार
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4 पाठकों का कहना है :
प्रेरक कथा।
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S.B.A.
TSALIIM.
नीलम जी, यह बहुत ही अच्छी शिक्षाप्रद कहानी है. कहानी में सही कहा किसान ने कि ऐसा भी काम क्या करना जहाँ कोई अपने आप ही मियां मिट्ठू बनता फिरे. मुझे आपकी साथ में दी हुई तस्वीरें भी बड़ी प्यारी लगती हैं. आप तो all round champion हैं, दोहों और शायरी का ज्ञान पहले से ही था काफी आपको. आपकी उर्दू की knowledge बहुत ही अच्छी है, मुझे struggle करना पड़ता है. दोहों में भी काफी मुश्किल आ रही है अब कठिन शब्द होने से. ऐसी सीख वाली कहानियां देने के लिए धन्यवाद.
बहुत घुमा फिरा कर
पर एकदम सटीक जवाब दिया है भोले भाले किसान ने,,,,
अच्छी शिक्षाप्रद कहानी...साधुवाद
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