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चित्र आधारित बाल कविता लेखन प्रतियोगिता
इस चित्र को देखते ही आपका मन कोई कोमल-सी कविता लिखने का नहीं करता! करता है ना? फिर देर किस बात की, जल्दी भेजिए। आखिरी तारीख- 30 मई 2010
Posted by Dr. Seema Kumar at 3:22 PM
Labels: bhola bachpan, Tasveer, तसवीर, बाल कविता
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11 पाठकों का कहना है :
सीमा जी
बहुत ही स्वाभाविक और प्यारी तसवीर है ये । एक बालिका की सरलता एवं सहृदयता स्पष्ट दिखाई दे रही है ।
बच्चे की ये छोटी-छोटी लीलाएँ कुछ ऐसी छाप दिल पर छोड़ जाती हैं जो सदा रहती हैं । एक सुन्दर
छवि का दर्शन सिखाने के लिए बधाई । सस्नेह
सीमा जी,
बाल-उद्यान पर आपकी इस प्रस्तुति नें विविधता ला दी है। आपकी बिटिया नें रोटी बनाना तो सीख लिया...अब दावत का इंतजार है :)
*** राजीव रंजन प्रसाद
सीमा जी,
आप बहुत बढ़िया फ़ोटी खींचती हैं, इसमें किसी को संदेह नहीं होना चाहिए। मुझे भी दावत का इंतज़ार है।
चलिए सीमा जी, मैं भी दावत में अपना नंबर लगा देता हूँ :) । यकीनन बहुत हीं सुंदर चित्र हैं। देखकर अच्छा लगा।
अरे वाह.......
तेजल ने तो सीमा जी आपके साथ साथ सबका मन खुश कर दिया। दावत का हम भी इंतजार करेंगे।
बहुत आच्छी प्रस्तुति।
बधाई।
सीमा जी,
बहुत सुन्दर चित्रो के साथ बहुत ही प्यारी प्यारी भाव भरी रचना...
कुछ दिन की बात है फ़िर गर्म गर्म खाना बना कर खिलायेगी बिटिया... बधाई
रचना की बधाई आपको,
बिटिया को, रोटी की बधाई है,
वातसल्य में भीगी भीगी,
जो भीनी सच्चाई है..
बिटिया को संदेशा दे देना
हम भी दावत में आयेंगे..
उन नन्हें नन्हें हाथों से.
हम भी एक गस्सा खायेंगे
क्या तस्वीर आपने खींचीं है
बरबस ही मन को लुभातीं है..
इसी बात पर मुझको अपनी
एक कविता याद भी आती है..
"एक चुलबुली से नटखट सी नन्हीं सी प्यारी प्यारी सी,
आखों से शरारत झलकाती सुन्दर सी राजकुमारी सी,
नन्हे नाजुक क्या नर्म हाथ..
फूलों की तो फिर क्या बिसात...
क्या होगी यूँ कोइ अप्सरा.
तुम भी देखो एक बार जरा..
कोमल पद चापों से चलती..
पयल की छम-छम-छम करती..
यूँ लगे हवा के झोंकों से हिलती फूलों की डाली सी..
Hi Seema ,
I really liked the picture.Its very natural and Tejal is doing her work very sincerely.No doubt you have written a very nice poem for those pictures.Congrats.
सीमा जी, आपकी बेटी ने इतने जतन से रोटियां बनाई हैं, फिर तो उनका स्वाद भी लाजवाब होगा। आखिर उसमें उसका ढेर सारा प्यार भी तो भरा होगा।
आप खुशनसीब हैं जो उस प्यार भरी रोटी को सेवन किया। ईश्वर ऐसी खुशी सबको दे।
आप सभी को टिप्पणियों के लिए धन्यवाद । भूपेन्द्र जी, आपकी कविता भी बहुत बढ़िया है ।
वैसे ये तस्वीरें मैंने तो नहीं खींची है ... वह रोटियाँ बनाने में व्यस्त थी और मैं उसे खाना खिलाने में :D |
दावत अवश्य होगी .. अभी तो उसने रिटियाँ बेलना सीखा है, पकाना सीख लेने दीजिए :)
very nice
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