चालाक लोमड़ और भोली बकरी
प्यारे बच्चो, दुलारे बच्चो, ये कैसे हो सकता है कि मै आज न आऊँ....हाँ आज आने में मुझे लेट हो गई मुझे लगता है अच्छा ही हुआ आपको प्रतिष्ठा दीदी की कहानी सुनने को मिल गई...
आपको मज़ा आया कि नहीं...अच्छा चलो हम आपको एक चालाक लोमड़ और एक भोली बकरी की कहानी सुनाते है...
आपको मज़ा आया कि नहीं...अच्छा चलो हम आपको एक चालाक लोमड़ और एक भोली बकरी की कहानी सुनाते है...
मेरे प्यारे बच्चो आओ, सुन लो एक कहानी,
बहुत पुरानी बात है ये कहती थी मेरी नानी
एक लोमड़ प्यास के मारे पहुँचा गाँव के अन्दर,
गलती से वो प्यारे बच्चो गिरा कुएँ के अन्दर...
गिर कर लोमड़ चिल्लाया मुझको बाहर निकालो,
कोई उपाय नहीं सूझा तो बोला मीठा पानी पिलो...
तभी गुजरी बच्चो उधर से एक भोली बकरी,
सुन कर लोमड़ की आवाज कुएँ पर वो ठहरी...
लोमड़ बोला बकरी से आओ बहन आओ
मैने अपनी प्यास बुझाई
तुम भी अपनी प्यास बुझाओ
लालच में आकर बकरी ने कुएँ में झट छलांग लगाई...
जमकर पहले पानी पिया फ़िर चारों तरफ़ आँख घुमाई
खुद को कुएँ मे कैद समझ बहुत ही वो घबराई
लोमड़ ने मौका देखा और अपनी बात समझाई
बाहर निकलने का रास्ता लोमड़ ने जब सुझाया
तब जाकर बच्चो, बकरी के जी में जी आया
लोमड़ बोला पहले तुझपर चढ़कर मै बाहर आऊँगा
बाहर आकर ही मै जतन से तुझको बचा पाऊँगा
भोली बकरी खड़ी हुई और लोमड़ बाहर आया
बाहर आकर उसने बुद्धू बकरी को बनाया...
बोला कितनी भोली हो तुम भी
बातों में मेरी आई हो
इतनी अक्ल नहीं है तुममें
या सारी ही बेच खाई हो...
अब बाहर आने का खुद कोई उपाय करो
मैं चला अपने घर को तुम यहाँ आराम करो...
तो बच्चो मज़ा आया कि नहीं ...कैसी लगी आपको कहानी
तो जान लो आज से ही बिना सोचे समझे कोई काम मत करना...
सुनीता(शानू)
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23 पाठकों का कहना है :
वाह!
मज़ा आ गया सच में... कहानियों का काव्य रूपांतरण करने का आपका यह दूसरा प्रयास पहले से भी कईं गुना बहतर है, गुनगुनाने में भी बहुत मजा आ रहा है... बच्चे निश्चय ही इससे आनंदित होगें।
मुझे एक बात समझ में नहीं आई कि फिर भी अक्षय की कविताओं में आपके लिये शिकायत क्यों रहती है। बाल-अदालत अपने फरमान में सुधार करते हुए आपको निर्देशित करती है कि ऐसी रचनाएँ लगातार लिखने के साथ-साथ अक्षय को सुनाया भी करें ;)
वाकई में लयबद्ध है, आपका भी यह एक प्रकार का स्तम्भ बनता जा रहा है, बधाई!!!
प्रिय सानू,
अति उत्तम, बहुत बढ़िया, कमाल का काव्य रूपान्तर...अरसे पहले की पढ़ी इस कहानी का काव्य में रूपांतर......अति उत्तम।
मैं और मेरा पूरा आँफिस इस काव्य रचना से बहुत प्रभावित हुए।
---- विनीत कुमार गुप्ता
मम्मी लोमड इतना चालू क्यों था।
सबको भगवान एक सा क्यों नहीं बनाता?
बच्चों के लिए एक अच्छी काव्य-रचना रची है। बधाई।
बढ़िया काव्य रुपांतरण किया है. अब अक्षय को जबाब दो?
Hi
Sunita Ji
Namste
Aap Ki Kahani Ho Ya Kavita Sab Romanchak Ke Alave Shiksha Prad Hoti Hai Mai Aap Ki Or Bharat Ki Samst Bandu Bhandhav Aapki Tariph Karne Me Hamre Khyal Se Asamrth Rahenge Aage Aap Se Yahi Anurodh Hai Ki Aap Aane Wale Samay Me Bhi Isi Tarah Se Samast Bhart Ke Logo Ka Manoranjan Karte Rahe Aur Saath Mai Mera Bhi Aap Ki Kahani Chalak Lomar Aur Bholi Bakri Bahut Hi bade ke liye Manorajandayak Aur chote ke liye Sikshaprad
Aap Ka Sahpathi
Priyatam Kumar Mishra
शानू जी की बात ही कुछ और है,वो चन्द शब्दों में ही कमाल कर जाती हैँ और यहाँ पन्नों के अंबार लग जाते हैँ छोटी से छोटी बात को समझाने में.वाह!...मज़ा आ गया
शानू जी!
बहुत ही प्यारी और शिक्षाप्रद कहानी सुनायी है आपने. वैसे इसे कहानी कहूँ या कविता!! खैर कुछ भी हो, पर है बहुत सुंदर! बधाई!
और हाँ, अक्षय के प्रश्न का उत्तर हमें भी बता देना!
kavita chhoti hai par bahut hi sikshaprad hai, kafi saral shabdo mai apni abhivyakti di hai, haa sach hai bina soche vichare koi kam nahi karna chahiye,
सुनीता बहुत ही प्यारे ढंग से आपने यह कहानी सुनायी! कुछ कहानियां बचपन से हमारे साथ है ,
उन्हें यूं सुनना बहुत अच्छा लगता है! चित्र भी बहुत सुंदर है ,कहानी इस में निखर के और भी सुंदर लग रही है ,बधाई!!!
बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताय,
काम बिगारे आपनो जग में होत हँसाय.
सचमुच एक बहुत ही बढिया सन्देश लय-बद्ध तरीके से प्रस्तुत करने के लिये बाधाई..
बच्चों को ही नहीं हमें भी मज़ा आया पढ़कर ।
बहुत बढिया काव्य रूपांतरण सरस और सरल, बाल मन में उतरने को आतुर कविता ।
अरे आप तो हमें भी बच्चा बना देंगी, चलिये अपने पुत्र को पढवाते हैं ।
धन्यवाद
सुनीता जी,
आप इसी प्रकार इन प्रसिद्ध बाल-कथाओं का काव्य-अनुवाद करती रहिएँ, आपको इस प्रयास के लिए लोग हमेशा आपको याद रखेंगे। साधुवाद।
बहुत सुंदर सुनीता जी। बच्चों के लिए बड़ी हीं ज्ञानवर्धक रचना लेकर आई हैं आप। इसके लिए बधाई स्वीकारें।
क्या बात है सुनीता जी आपकी पहली काव्य कहानी मेरे बचों को बहुत पसंद आई, और ये दूसरी उससे भी अच्छी बन पड़ी है, मज़ा आ गया, आप ये तस्वीरें कहाँ से ले आती हैं, सचमुच आपकी मेहनत काबिले तारीफ है, मगर अक्षय के सवाल का क्या जवाब है, भाई मेरे बेटा भी तो यही पूछेगा न .
सुनीता जी,
क्षमा जीजियेगा इतने विलंब से प्रतिक्रिया के लिये। आप का यह प्रयास स्तुत्य है। स्थापित कहानियों के कविताकरण से उनमें रोचकता बढती है। बच्चों के लिये इसमें नयापन भी होता है...अक्षय के सावल के जवाब भी दें, देश के कई बच्चों को इस जवाब की प्रतीक्षा होगी।
*** राजीव रंजन प्रसाद
कविता, चित्र, कहानी का यह सुंदर सामंजस्य है। बहुत बहुत बधाई।
सुनीता जी,
विलंब से प्रतिक्रिया देने के लिये क्षमाप्राथी हुँ। आप का यह प्रयास सराहनीय है। स्थापित कहानियों के कविताकरण के साथ साथ अच्छी चित्र संयोजन से उनमें रोचकता बढती है तथा बच्चों के लिये इसमें नयापन भी होता है
बहुत सुन्दर!! कथा भी! चित्र भी!
धन्यवाद और शुभकामनाएँ!
सुनीता जी,
बहुत सुन्दर कहानी और उतने ही सुन्दर चित्र... काफ़ी मेहनत का काम किया है आपने... बधायी.
अक्षय तुम्हारे इस प्रश्न का उत्तर तो भगवान के पास भी नही है...इस धरती पर सभी जीव जन्तु एक जैसे नही होते...भगवान सब को एक जैसा नही बनाता एक जैसा बनाने से किसी में फ़र्क नही कर पाते...हमेशा एक प्राणी दूसरे प्राणी को खाकर अपनी भूख मिटाता आया है यही भगवान ने बनाया है सबसे छोटे कमजोर जन्तुओं को उनसे बड़े ताकतवर खाकर अपना पेट भरते है...जैसे किड़े और धान खाता है चूहा चूहे को बिल्ली और बिल्ली को कुता, कुते को शेर ...और सबसे बलवान है इन्सान वो सभी कुछ मार और खा सकता है...इसीलिये भगवान ने सभी को अलग-अलग बनाया है ताकि सभी अपने-अपने तरीके से अपना भरण-पोषण(पेट भर,जीवन निर्वाह) कर सकें
अभी भी समझ नही आये तो और उदाहरण दे दूँगी ...
सुनीता(शानू)
शानू जी,
बच्चों के लिए...
एक अच्छी रचना ...
"बिना सोचे समझे कोई काम मत करना... "
बधाई।
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