खिजाब लगाने वाले
खिजाब लगाने वाले
वृधावस्था में अकबर खिजाब लगाया करते थे एक बार खिजाब लगाने के दौरान उन्होंने बीरबल से पूछा -"बीरबल ! खिजाब दिमाग को नुकसान तो नही पहुंचाता ?"
बीरबल चुप रहे क्या जवाब देते जो जवाब देते ,वह बादशाह को पसंद न आता ,इसलिए वे चुप ही रहे
बादशाह अकबर ने सोचा की शायद बीरबल के पास इस सवाल का जवाब नही है और इस सवाल को लेकर बीरबल का मजाक बनाया जा सकता है
अत: उन्होंने फिर पूछा -"बताओ न खिजाब लगाने से दिमाग को नुकसान तो नही पहुचता? "
अब बीरबल से न रहा गया तपाक से बोले - "हुजूर !खिजाब लगाने वालों के दिमाग ही नही होता यदि होता तो
क्यों बनावटी सुन्दरता को लादकर बूढे से जवान बनते "
यह उत्तर पाकर अकबर बादशाह चुप हो गए बीरबल ने अपने जवाब में उनकी ओर संकेत कर दिया था कि उनमे दिमाग नही है मगर उनका उत्तर था बिल्कुल ठीक
अत: अकबर ने उस दिन से खिजाब लगाना छोड़ दिया
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
12 पाठकों का कहना है :
खिजाब लगाने के बारे में भोजपुरी की एक कहावत है - एक त झूठ, उहो कपारे पर.
अकबर बीरबल के मजेदार किस्से , उम्मीद है और भी सुनने को मिलेंगे |
aji aaj pata chala ki hamara bhi dimaag nahi hai aaj hi to khizab lagaya hai age se tauba
हा हा हा सच कहा है बीरबल ने। आजकल ऐसे लोग बहुत मिल जाएँगें।
waah ! maza aa gaya , hume akbar aur birbal ki kahaniyaan bahut pasand hai , asha hai aap aur bhi acchi acchi stories sunayegi
क्या बात है बीरबल जी जिंदाबाद
मैने ये किस्सा नही पढ़ा था आप का धन्यवाद की आप ने यहाँ लिखा .कृपा कर और भी एसे किस्से लिखियेगा
रचना
मजा आ गया नीलम जी...
आलोक सिंह "साहिल"
हम तो पहले से ही कहते आ रहे हैं के हम में............
दिमाग नाम की कोई cheej है ही नहीं ....कभी थी ही नही..
मौरल ऑफ द स्टोरी :
खिजाब अन्दर तक असर करता है... बालों को जडों से काला करता है..
वैधानिक चेतावनी : मात्रा से अधिक इस्तेमाल बालों की जडों के साथ साथ पूरा दिमाग काला कर सकता है, अतः विशेषज्ञ की परामर्श अनिवार्य है..
raaghav jee kaa vishesh dhanyavaad . mujhe yah kissaa to bahut achcha lagaa lekin jab se padaa khijaab kaa matlab talaash rahi thi aur aaj neelam ji se hi poochane kaa man banaayaa tha , par aapne samjha diya ki khijaab kya hota hai , mai ise kuch aur hi samajh rahi thi......:)
अकबर बीरबल के किस्से.... इसकी एक सिरीज़ शुरु होनी ही चाहिये...
पंचतंत्र, हितोपदेश की कहानियाँ.. दंत-कथायें, जातक-कथायें.. इन सबसे भी बच्चों का परिचय अवश्य करायें.. ये बहुत जरुरी हैं... बच्चों को इनके बारे में कुछ नहीं पता आजकल... शिनचैन जरूर जानते हैं।
आशा है इन सब पर भी गौर किया जायेगा।
वैसे बीरबल का जवाब बिल्कुल दुरुस्त था... :-)
bhla ho raaghav ji ke comment ka ,
waise seema ji aap ise kya samjhi thi ,munaasib samajhiye to hume bataayiye jaroor
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)