Tuesday, February 3, 2009

ऋतुओ की रानी

ऋतुओ की रानी

धरा पे छाई है हरियाली
खिल गई हर इक डाली डाली
नव पल्लव नव कोपल फुटती
मानो कुदरत भी है हँस दी

छाई हरियाली उपवन मे
और छाई मस्ती भी पवन मे
उडते पक्षी नीलगगन मे
नई उमन्ग छाई हर मन मे

लाल गुलाबी पीले फूल
खिले शीतल नदिया के कूल
हँस दी है नन्ही सी कलियाँ
भर गई है बच्चो से गलियाँ

देखो नभ मे उडते पतन्ग
भरते नीलगगन मे रन्ग
देखो यह बसन्त मसतानी
आ गई है ऋतुओ की रानी


आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

3 पाठकों का कहना है :

शोभा का कहना है कि -

बहुत सुन्दर

neelam का कहना है कि -

नए मौसम का स्वागत है ,साथ ही आभार भी है आपको

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

ऋतुओं की रानी का आगमन
सब प्रफुल्लित धरा औ गगन
कोलाहल बढ गयी हर चमन
देखो कितना खुश हर बचपन
फूल कूल नदियाँ और उपवन
नये रंग लिये सब अपने मन
करने को तत्पर उठ बैठे...
ऋतुओं की रानी का आगमन

सुन्दर सीमा जी बहुत सुन्दर कविता.. :)

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)