ऋतुओ की रानी
ऋतुओ की रानी
धरा पे छाई है हरियाली
खिल गई हर इक डाली डाली
नव पल्लव नव कोपल फुटती
मानो कुदरत भी है हँस दी
छाई हरियाली उपवन मे
और छाई मस्ती भी पवन मे
उडते पक्षी नीलगगन मे
नई उमन्ग छाई हर मन मे
लाल गुलाबी पीले फूल
खिले शीतल नदिया के कूल
हँस दी है नन्ही सी कलियाँ
भर गई है बच्चो से गलियाँ
देखो नभ मे उडते पतन्ग
भरते नीलगगन मे रन्ग
देखो यह बसन्त मसतानी
आ गई है ऋतुओ की रानी

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3 पाठकों का कहना है :
बहुत सुन्दर
नए मौसम का स्वागत है ,साथ ही आभार भी है आपको
ऋतुओं की रानी का आगमन
सब प्रफुल्लित धरा औ गगन
कोलाहल बढ गयी हर चमन
देखो कितना खुश हर बचपन
फूल कूल नदियाँ और उपवन
नये रंग लिये सब अपने मन
करने को तत्पर उठ बैठे...
ऋतुओं की रानी का आगमन
सुन्दर सीमा जी बहुत सुन्दर कविता.. :)
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